Wednesday 16 January 2019

डॉ. शेफालिका वर्माक किछु मैथिली कविता / मीता आ अन्य

मीता !




तीतल हमर नोर सँ अहाँक ई 
मनमोहक चित्र ! 
किछ तुहिन कण मन पर 
व्यथिता रजनीक श्रम सीकर 
खसल आहत भ नीरव 
शून्य पीड़ा बनि भू पर ,,,,

धड़कि धड़कि फाटय छाती 
नित नित चिन्ता नवीन 
कोना बीती रहल ई अस्थिर 
जीवन दिन दिन 

आय दूर अहाँ हमरा सँ 
नीरव नोर झहरैत पल पल 
धो दिय विरह अमा हमर 
क दिय मधु राका निर्मल 

किछ संकेत भरल ओ उसाँस 
सिहरल प्राणक घर मे 
हमर अहाँक मिलन
 अछि मूक लिखल अम्बर मे 
तीर बनि बनि लागि रहल 
रिमझिमक गान मनभावन 
बरसि बरसि बीती रहल
संगिनी , आय आँखिक साओन 
मधुर विरक्तिक आकुलता 
घिरल हृदय गगन विचित्र 
मीता ! 
तीतल हमर नोर सँ 
अहाँक ई मनमोहक चित्र ,,,,
...


घर कतय हेरा गेल....


हमरा मोन पडैत ऐछ अपन घर
जे एकटा मंदिर छल
सरस्वतीक वास सन
मंगलमय वरदान सन ..............


दिसा दिसा सँ मधुर रागिनी अवैत छल
सरगम क ध्वनि गवैत छल
प्रेम प्रीति स भरल 
जीवन क गीत स साजल 
ओ हमर घर छल. 

पावैन तिहार क रंग स 
जितिया पावैन बड भारी--उगाह चान कि 
लपकों पुआ क नाद स ;अपन आनक 
उलहन-उल्लास स 
भंगक तरंग सन छल ओ जीवन .....

आय विस्थापित जकां एहि महानगर में 
भटकि रहल छी....
अपन आन लेल तरसि रहल छी ...
सौनसे शहर देवार स पाटल ऐछ
रहवाला क्यों नही 
उजहिया जकां लोग भागि रहल ऐछ 
लालसा लिप्साक व्यामोह में 
नहि जानि कथीक छोह में 

घर मात्र शरण लेवाक स्थान भ गेल 
एकटा अल्प विराम बनि गेल..नहि हास नै
विलास एते , नै उन्मुक्त जीवनक आस एते
घरबनैत अछ प्यार स दुलारस
हंसी स मजाक स , मुदा,
ईंट, पाथर,सीमेंट घरे नै मानवक ह्रदय पर 
प्लास्टर चढ़ा गेल 
प्यार ,ममता, आदर सब भाव प्लास्टर क 
नीचा दबा गेल 
हमर घर कते हेरा गेल.................
...


भावनाक सीता

प्राणक अकास में सजल स्मृति  
अहाँक छायल 
आँखि जेना साओन भादो बनि आयल 


उजड़ल एहि उपवन में 
सिहरत मधुमास क़त 
मन्दिर जखन स्वयं हेरायल 
तखन प्रतिमाक वास क़त 

अतुल वैभवक रानी 
स्वयं एकाकिनी 
नक्षत्र रंजित गगन में
चन्द्रविहीना यामिनी ,,,

ब्रह्म बेलाक मध्य असगर तारिका
स्वर्ण पिंजर बन्द भाग्यहीना सारिका 
अशोक वाटिका में बैसल 
उदासमना शोकाकुल 
भावनाक सीता 
अपन प्राणक दीप नेसि 
नेने सम्पूर्ण पूजन आराधन 
क रहलीह एकटा अंतहीन आश्रन्त 

प्रतीक्षा प्रतीक्षा प्रतीक्षा.
...


प्रकृति- पुरुष 
         
.सागरक  शांत लहरि देखी 
 किछ किछ होयत अछ मोन में
की सरिपों  नुकायल अछ सुनामी
एकर अंतर में ??
कखनो  कोसी क हुँकार
कखनो  गंगाक  आर्तनाद .......
हिमालयक  चंचला बेटी सब
सागरक छाती  सँ लागि जायत अछ
मुदा,
कोन वेदना  सागरक  सुनामी बनि 
जायत  अछ ..
मोन होयत  अछ
चीरी दी एहि रहस्य के
देखि ली  सागरक  छाती में बैसल
उपास्य के
किएक बेकल अछ पल पल
प्रतिपल
नै मेटैत  अछ तरास जकर
की अकास स मिलवाक आस एकर..
आतुर  अधीर
की व्यर्थहि  रहल  एकर पीर
नहि ते केकरो  पिआस मेटा पवैत अछ
नहि ते स्वयम अपन तरास
बुझि   पवैत अछ
युग युग सँ  तटक निर्मम रेत कें
भिजावैत  अछ
मुदा, किनार ओहिना  निर्विकार
निर्लेप  रही जायत  अछ
की ई  नियति प्रकृतिक  थीक
पुरुष  अपना के किनार बना  लैत छैक
भिजैत  अछ, तितैत  अछ
किछ बाजि  नहि पवैत  अछ
जीवनक   अर्थ   खोजिते रहि  जायत छैक......................
...
कवयित्री - डॉ. शेफालिका वर्मा 
कवयित्रीक पता  -    A ,103 , सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स, डीडीए  एचआईजी एफ, डॉ. मुखर्जी नगर, दिल्ली- 9 
मोबाइल नं. - 09311661847
ईमेल  -  shefalika1943@gmail.com
प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम'
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

कवयित्री मैथिली कें अति-प्रतिष्ठित कवयित्री आ लेखिका छथि. हिनका अपन मैथिली जीवनी "किस्त किस्त जीवन" वास्ते 2012 ई. मे साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटल छैन्हि. पटना के एकटा प्रसिद्ध महाविद्यालय मे हिंदी विषयक प्राध्यापिका के पद पर कार्यरत छलीह. ई मैथिली संगहि हिंदी आ अंग्रेजी के सेहो बड़ नीक कवयित्री छथि. 








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