Thursday 27 June 2019

चुलबुली ननदिया -प्रेमक इजहार / कंचन कंठ

प्रेमक इजहार

हमर एक टा ननदि छलैथ शैलजा कंठ,ओ जतबे सुंदर ओतबे तेजस्विनी छलीह। स्नातकोत्तर अध्ययन लेल जेएनयु में एडमिशन भेलैन। एतय के त माहौल देखिकय क्षुब्ध रहि गेली । कहां ओ पढ़निहार आ अपन लक्ष्य के लेल कटिबद्ध आ कतय ई खुलापन! खैर,ओ अपन काज सं काज रखैत छलीह, किंतु जे बिहारी छात्र-छात्रा छल, ओकरा सभ के कहियो काल सावधान करैत रहैत छलीह।

ओहने एकटा छात्र छलैथ विकास कुमार। ओ हुनका व्यक्तिगत रुप सं जनैत छलीह ओ मनप्रीत कौर सं जी-जान सं प्रेम में परि गेल छलाह। ओकरा इम्प्रेस करै ले कोनो अवसर चुकै नै छलाह। मनप्रीत सेहो हुनका प्रति आसक्त भय गेलीह। एक दिन सोचल जे किया नै हमहुं किछ करि अपन प्रेम के अभिव्यक्त करै लेल। त ओ शैलजा क समक्ष अपन ई बात रखलैन कि "तुम और विकास तो एक ही बोली बोलते हो, क्या तुम मुझे अपनी भाषा में आई लव यू बोलना सिखा दोगी?" शैलजा झट दs तैयार भ गेलीह आ कहलनि "मैं तो सिखा दूंगी पर तुम तीन-चारि दिन अच्छे से याद करके ही मिलना।"

बड्ड बेस तहिना कय मनप्रीत बड़ मनोयोग से प्रैक्टिस केलैन्ह। एम्हर विकास बाबु परेशान छलाह कि भेटे नै भs रहल अछि। तs जहिना मनप्रीत पांचम दिन समाद देलखिन, बेचारे भागल-भागल गेलाह। हिनका देखतहि मनप्रीत जोर-जोर सं कहै लगलीह "रे कोढ़िफुट्टा, रे बढ़नझट्टा, रे अभगला,रे कुलबोरन, रे कुलघाती एहि दिन लै मां-बाप दीनानाथ के व्रत उपवास केने छल, जे तौ आइ ई सभ काज करै छह! पढ़बें - लिखबें से नहि यैह सभ में लागल रह।" विकास कुमार के त चकचौन्हि लागि गेलैन आ लोक हंसैत हंसैत पगला गेल।
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आलेख - कंचन कंठ
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1 comment:

  1. धन्यवाद,संपादक महोदय

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