Sunday 23 February 2020

मुम्बई साहित्यिक बैसाड़'क पहिल गोष्ठी.23.2.2020 केँ मुंबईमें सम्पन्न

स्कूल कालेज गेल निखत्तर, ह्वाट्सएप परसै ज्ञान

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दिनांक 23.2.2020 केँ चर्चगेट (मुम्बई) मे ओवल मैदानक निकट अवस्थित क्रौस मैदान में एकटा मैथिल साहित्यिक बैसाड़'क आयोजन भेल जाहिमे नानाविध प्रकारक रचनापाठ एवं कलाविद्याक प्रदर्शन भेल.संगहि मैथिलीक असुलका गाँव-घरवला टोनक प्रयोग करैत गप्प-शप्प सेहो भेल. अहि अवसर पर मुम्बई केँ कोना-कोना सँ मैथिल सभ जुड़लाह जेना -विरार,भिवंडी, नवी मुम्बई, अणुशक्तिनगर, महालक्ष्मी, मलाड आदि. पूर्णत: अनौपचारिक किंतु अनुशासित माहौलमे अढाई घंटा चलल अहि कार्यक्रमक रूचिपूर्ण संचालन कयलनि कृष्ण कुमार झा एवं अध्यक्षता कयलनि विनोद कुमार झा.

मैथिली अकादमीक पूर्व सदस्य आ पटना विश्वविद्यालयक पूर्व मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो. वीणा कर्णक निधन किछुदिन पूर्व भ गेलै आ ताहि कारणें सभ मैथिल शोकग्रस्त छथि मुदा साँच श्रद्धांजलि दिवंगतक कार्य के आगू बढ़ौला सँ होइछ आ से काज छै मैथिलीक अधिकाधिक प्रचार-प्रसार.

ई मुम्बई मे पहिल बैसार छल, ताहि मुताबिक अत्यधिक सफल आ उत्साहदायी मानल जा सकैत अछि. सोलह टा मैथिली केँ समर्पित रचनाकार  आ कलाकार मिथिला सँ दूर मायानगरी मुम्बई मे अपन संस्कृति कें पुनर्जीवन दैलेल एक बुलावा पर तुरंत उपस्थित भ गेलाह ई कम बात नहि. काव्यपाठ केनिहार मे वरिष्ठ आ नव कें सुंदर समायोजन देखबा में आयल.  सदरे आलम 'गौहर', पंकज झा, प्रो. कृष्णकुमार झा 'अन्वेषक', राजेश राय,  कुणाल ठाकुर,  विनोद सरकार, लक्ष्मण झा एवं कथाकार राजकुमार मिश्र, धर्मेंद्र कुमार झाक संग बेजोड़ इंडिया ब्लॉग, मुम्बई डेस्क केँ दूनू मानद सम्पादक माने हेमन्त दास 'हिम' आ भास्कर झा सेहो सक्रिय रूप से उपस्थित रहलाह. विकास मिश्रा, गौरव झा, अरविंद मिडा आ शांतनु झा सेहो अहिमे सम्मिलित भ कर्यक्रमक शोभा बढ़ौलनि.

मैथिली, अंग्रेजी आ हिंदी पर समान अधिकार राखैवला विद्वान भास्कर झा केँ सर्वसम्मति सँ मुम्बई साहित्यिक बैसाड़क संयोजक बनाओल गेल जाहिसे मैथिलीक प्रचार प्रसार तीव्र गति सँ भ पावै.

विशेष उपस्थिति रहलनि मैथिली हेतु 2018 केँ साहित्य अकादमी पुरस्कार सँ विभूषित सदरे आलम गौहर'क जे हालहि मे निदा फाज़ली'क कविता संग्रह केँ मैथिली अनुवाद "हरायल जकाँ किछु" कय अत्यंत चर्चित भेल छथि.

मुम्बईमे फिल्म अभिनेता-सह-सहायक निर्देशक गौरव झा शहनाईक ध्वनिमे  एकटा मधुर धुन सुनौलन्हि अपन नाक सँ  बजा क आ सभकेँ मंत्रमुग्ध क देलथिन्ह. फिल्म लाइन के प्रतिनिधित्व कुणाल ठाकुर आ अन्य द्वारा सेहो भेल जे अभिनय आ निर्देशनक कार्य करैत फिल्म लाइन मे जुड़ल छथि.

पढल गेल रचनासभमे ओना त श्रृंगारक बाहुल्य देखल गेल तथापि प्रेम आ सद्भावना पर आधारित गम्भीर रचनासभ  सेहो पढ़ल गेल. झलक देखल जाओ-
  
फगुआ केँ निकट अबितहिं पूरा वातावरण श्रृंगार सँ सराबोर भ जायत अछि. प्रो. कृष्ण कु. झा 'अन्वेषक' एकटा नवयौवना परिणीताक प्रेमक पिपासाक झलक प्रस्तुत कयलनि -
जग दुर्लभ नारिक आकर्षण
अधर-सुधा रस पान कराएब।
लाजक बात कहू की साजन!
आएब अंग सँ अंग लगाएब।
काजर धोरल नोरक स्याही
कंत एहेन निर्दय नञ बनियौ।
अन्वेषक आएब फागुनमे
एहि फगुआमे आश पुरबियौ।
           
"चाहे फगुआ आबे आकि कोनो आओर त्योहार / आइ-काल्हि चढ़ल सभकेँ एकहिं खुमार" आ से छै फेसबुक-ट्वीटर-इंस्टाग्राम. कवि कुणाल ठाकुर अहि स्थितिक बड़ सुंदर वर्णन करने छथि-
*फेसबुक के फूस्टिक मे जिनगी भेल जियान 
  स्कूल कालेज गेल निखत्तर, ह्वाट्सएप परसै ज्ञान ।
 *रंग बिरंगक स्माइलीसँ जिनगी भेल बदरंग 
  ओनलाइन केर दुनियामे तैयौ मानव किए मतंग ।
*नवपीढ़ी केर नितदिन बदलय फेसबुक पर फेस 
  सभकिछु देखू फेसबुकियाअल रहल किछो नहि शेष ।
*एतबे नहि, कचर बचर करय ट्विटर इन्स्टाग्राम
  चाय पीबय के समय बचल नहि आराम भेल हराम ।
*चिट्ठी पतरीक कोनो काज नहि, सभ किछु भेल ईमेल ।
  घरक मेल बसथि भनसाघर, इंटरनेट पर फिमेल ।
*बदलि गेल गाम घर आ बदलल नगर आ देस।
  कहय कुणाल सुनू जनतागण चहुँ दिसि ठेसे ठेस ।

कवि राजेश राय सुनौलन्हि एकटा श्रृंगारमे सराबोर वियोग गीत -
सुनियो यौ सजना हमर कनि बात
बीतय अछि राति हम कोना कही
बुझियों यौ प्रीतम हमर जज्बात
बीतय ई राति हम कोना कही।

हेमन्त दास 'हिम' सेहो सभकें मिलिजुलि केँ रहैके आह्वाहन करलथिन्ह - 
बीज बंटैकेर कहियो भलमानुष रोपै नै छै
अलग चाहे हम भा जाई, धरा त होबै नै छै
किएक नहि जीवनक दिवस केँ
प्रेम सँ मिल कय बितायब
मुक्त मन ई मेघ सम अछि
जेम्हर मन हम तेम्हर जायब.

बसात बहला पर पंकज झा केँ ध्यान आबि छन्हि किछु आओर-
सन सन बसात बहय
धक धक करेजा में
लागई पिरितिया के बाण
हाय राम
मोन पड़ल आई हमरा गाम.....

अहि प्रकारें आगूओ समय समय पर मुम्बई के अलग अलग सार्वजनिक स्थल पर ई गोष्ठी आयोजित करबाक निर्णय भेल. एकटा व्हाट्सएप्प ग्रुप सेहो बनाओल गेल मात्र अहि समूहक सदस्यक लेल.

अंत मे धन्यवाद ज्ञापनक पश्चात अध्यक्षक अनुमति सँ सभा समाप्त भेल.
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रपट निर्माण एवं प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम' / भास्कर झा
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नोट - 1. जै प्रतिभागी कविगण केंं पंक्ति अहिमे सम्मिलित नहि अछि कृपया सम्पादक केँ ईमेल पर शीघ्र पठाऊ.
2. सम्पूर्ण चित्रावली अहि रपटक हिंदी संस्करण के साथ "बेजोड़ इंडिया ब्लॉग"'क मुख्य पेज  पर आओत.

Tuesday 11 February 2020

पैर तर सँ माटि घसैक रहल अछि, अपने गुमाने फुच्च...! / प्रकाश चन्द्र

 माय-बाप आओर बाल-बच्चा केँ समर्पित निबंध 

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लेखक  - प्रकाश चन्द्र (ग्राम- सरहद, मधुबनी)

आजुक समय में शिक्षाक हाल, बदहाल अछि। हम-अहाँ पीसि रहल छी आओर पीसा रहल छी। कोनो परिवार सभ सँ अधिक खर्च शिक्षा पर करैत अछि। शिक्षा आब व्यापार भs गेल छैक एवं सोच एकाकी। ओहि लेल हम सब पसीना सुखा रहल छी...?

आब हमहुॅ सभ बड़का - बड़का कॉन्वेन्ट स्कूलमे अपन बाल-बच्चा केँ पढ़ा गौरवान्वित महसूस करैत नहि थाकि रहल छी, अपन पूरा जीवन बाल-बच्चाक खातिर अपन सख -मनोरथ त्यागि, रुख-सुक्ख खाइत, येन-केन प्रकारेण जीवन-यापन मे व्यस्त छी। मुदा किछु अपवाद केँ छोड़ि अधिकांशतः बाल-बच्चा केँ ओहि सँ कोनो फरक नहि पड़ैत छैक।

बेटा -बेटीमे कोनो अंतर नहि, आब बेटा सँ बेसी बेटी सभ आगु बढ़ि रहल छथि - ई बहुत नीक अछि परिवार आओर समाजक लेल। कारण जे जतेक महिला जाग्रत हेतीह ओते अपन समाज आ संस्कृति मजगूत होयत संगहि सामाजिक समस्या सँ छुटकारा भेटत जेना -दहेज प्रथा, अशिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य।

ई कखनि सोचय के लेल बाध्य होमs पड़ैत अछि जखनि बच्चा सँ ई सूनय पड़ैत अछि जे -ई त सब "करैत" छैक, ई अहाँक "जिम्मेवारी" थीक.....। तखन बाल बच्चा केँ जिम्मेवारी की? ओकर पसंद, खान-पान, रहन- सहन , पहिनावा, आचार- विचार एवं व्यवहार सबटा अपन समाज और संस्कृति सँ भिन्न भेल जा रहल अछि। एकटा छोट उदाहरण - :भात-दालि, रोटी तरकारी के पर्याय : वर्गर -पीजा, सैंडविच, चिकेन, फ्राईड राईस भs गेल अछि, घरक व्यंजनक कोनो स्वाद नहि , होटल के सरलो स्वादिष्ट । एहि मानसिकता में बदलाव आवश्यक

एकर कारण हम - अहाँ छी। जनमे सँ बाल -बच्चा के परवरिशमे देखावटी सोच एकर मूल कारण अछि आओर आब ई कहय पड़ैत अछि जे कि - ककर बच्चा की करत? के जनैत अछि? ई कहि पल्ला झाड़ला सँ काज नहिं चलत ?

आजुक परिवेशमे बाल- बच्चा सभ अपन संस्कृति, भाषा, कर्तव्य-बोध, त्याग, समर्पण, सहयोग के बिसरि रहल छथि जे चिंतनीय आ संगहि दुःखद सेहो अछिI भरोसा उठि रहल अछि। समय रहैत नहि चेतब तs एहन उच्च शिक्षा एवं आधुनिक परवरिश केँ कौन औचित्य?

आजुक युवा पीढ़ी आओर माता-पिता सँ ई विनम्र निवेदन अछि जे अपन परिवार, अपन समाज, अपन संस्कृति के समझू आओर खुसहाल जीवन केँआनन्द उठाऊ, सादा जीवन उच्च विचार केँ परिभाषित कs अनुकरण करू। ..............

निबंधकार - प्रकाश चन्द्र
निबंधकारक ईमेल - lebaggo@gmail.com
पता - ग्राम: सरहद, जिला: मधुबनी
प्रतिक्रिया हेतु अहि ब्लॉगक ईमेल - editorbejodindia@gmail.com

लेखकक माता-पिता : श्री आनंद कु. दास उर्फ सरयुग बाबू एवं श्रीमती प्रेमलता देवी, ग्राम- सरहद  (मधुबनी)