Wednesday 30 October 2019

परदेसमे पावनि / कंचन कंठ

जखनि छठ पूजाक मेलामे गुम गेल बुचिया

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"छठि पावनि लगचियाएल अछि, टिकस के इंतजाम करियौने! गाम नै जेबै, माईं रस्ता देखैत हेथिन्ह कि बऊआ कनिया बच्चा सभ ल क अबैत हैत!" - कहैत प्रश्नवाचक दृष्टिसं अनीता अपन घरवला सुरेशक दिस तकलैन्हि। "नै ये एहि बेरि कहां टिकसक इंतजाम भेल, जे जायब;ओहो चारि -चारि गोटे! एहि सीजनमे मुंबईमे भगवान भेटब सरल; कंफर्म टिकस भेटब मोसकिल!" सुरेश बड्ड दिन भेलै गामसं नौकरीक तलासमे मुंबई अयलाह आ एतहि एकटा प्राइवेट फर्ममे काज करैत छलाह।

"हे भगवान, आब की करब हौ दैब; बच्चा सभ त आस लगौने छल कि छठमे गाम जायब, माईं - बाबासंग खूब मौज करब, कनी नानियो गाम जायब सभ मौसी-मामा सभसंग मेला घुमब"- कहैत-कहैत आंखि नोरा गेलैन्ह अनीताके। 

"यै, ऐना कानैय छी किया, हमरो त इच्छा छल कि पाबनि-तिहार गामे पर मनाबि मुदा अपन कोन सक्क! कोनो सरकार हो, कोनो रेलमंत्री; हमर सभक समस्या जस के तस! कोनो बदलाव नहीं, कोनो सुनवाहि नै। नै अपन घरमे कोनो काज अछि, आ ने परदेसमे कियो दर्द बुझय बला"-बजैत-बजैत सुरेशो कननमुंह भ गेलाह।

"मायके फोन करैत त करेज फाटि रहल अछि मुदा कहि दै छियै जे अहिबेर छठिमे एतहि रहब।" -ई कहि ओ फोन करय चलि गेलाह।दिलके कहुना सम्हारि कय पाबैनक ओरियानमे सभ लागि गेलाह।ओतेक उछाह कतयसं आबय मुदा पाबैनक दिन त घर एहिना नहि छोड़ल जा सकैछ।

छठिक संझुका अरघ, मोन छटपटाय लागल अनीता के,"ओह; की सोचैत हेती सासु कि पुतोहुके बंबईके हावा लागि गेलैन्ह, तें नै अपने एलीह आ नै बेटाके आबय देलखिन्ह! हमर व्यथा के बूझत!" सुरेश जखन बड्ड मनहुस देखलखिन्ह त कहलखिन्ह ; "चलु सब गोटेके जुहू बीच ल चलै छी, हाथ उठतै; त गोर लागि लेब आओर बच्चा सभके  मेलो घुमा देबय त मोन बहटैरय जेतै‌।"

ओ सभ छठि देखय चललाह। रोड पर बड्ड भीड़, कियो कोनिया -दौरा सभ माथे पर उठेने दौड़ल जा रहल छल, जाहिमे विभिन्न समान छलै अरघ पर दै बला‌। त हुनक मराठी ऑटोचालक बाजल,"पता नहि, कौन सा परब है बिहारियों का कि मूली, बैंगन सभ चढ़ाते हैं।" "हौ तों कि बुझब' एहि पाबनिक महातम!"- ओ मोनेमोन बजलाह। बीच पर त लोकक अंते नहि !बुझि परय छल जे समुद्रसं होड़ लागल छै कि के कतेक पैघ! चारू गोटे एकदोसरा के हाथ पकड़ि घुमैत चलल जाइत छलाह। जान पहचान त कियो नहि ,त कतहु ठाढ़ि भ भरल आंखिसौं क्षमा मंगैत गोरि लागि, मां-बाबूक ध्यान करैत आगू बढ़लाह। चलैत-चलैत जखन डेढ़-दू किलोमीटर भ गेल त सोचलाह कि कनि बैसिकय बच्चा सभके "भेल कि पावभाजी" किछु खुआ दैत छी, ओहो सभ प्रसन्न भ जायत।जहां कि पाछां मुड़लाह; त ..... हाय रे दैव! ई कोन कनकिरबी संग लागि गेल! आब कोन उपाय करब? केकर बच्चा अछि, कोना कय की होयत?"

ओहि बचियासं पुछय चाहलैथ त ओ भोकारि पारि कय कानय लागल। ओ दू -तीन सालक जान कतैक जानकारी राखथि कि बुझिते छलैह जे बतबितैन्ह! तखन खायब-पियबके त बाते हवा भ गेल; आब त ओहि बच्चाक मां-बाप लग पहुंचाबय जरुरी बुझना गेल। खैर, सोचलैन्ह जे जाहि रस्ता सं एलहु, ओहि रस्तासं वापस जाय, त कहिं ओकर माता पिता भेटा जाइ!ई सोचैत ओ सभ उनटे पैर आपस चललाह। ओना त बच्चा सभ थाकियो गेल छल मुदा बच्चा के बिछड़ल देखिकय, अपन भूख-थाकब बिसरि बिना कोनो हल्ला-गुल्ला के माता - पिताक संगे चलल जा रहल छलथि। 

अनीता के त होसे गुम भ गेल छल। ओ त बुझबे नहि केलैथ कि कखन ओ बुचिया आंचरक कोर धय एतेक दूर चलि आयल। मोनेमोन राणामाई के ओहि बच्चाकेँ माय-बापसं मिलबै के गोहारि लगा रहल छलीह। एहिना कतेक दूर चलला पर "मम्मी" कहि ओ बुच्ची चिहुंकल! ई सभ ओहि दंपतिक लग गेला त दुनू वैकतिमे खूब घमासान मचल छलैन्ह। घरबला कनियां पर बड्ड खिसियाएल आ कननमुंह भेल कनिया सफाई द रहल छलीह कि हम अरघ दैत रही आ ओ कखन हमर लगसं निकसि गेल नहि बुझलहुं। बेरि-बेरि राणामाई के गोहार लगबैत,सूप , कोनिया, नारियल गछैत जा रहल छलीह कि ई सभ बुच्ची के ल क जुमि गेलैथ।

अपन बेटी के सही-सलामत देखिते दूनू परानी भाव - विभोर भ गेलाह आ जोर जोर से कानय लगलाह कि "हमर सभक कोनो अरजल पुण्य छल वा कि छठी मैया के असिरवाद कि जहिना बुचिया हेरायल, तहिना भेटियो गेल।आजुक जुगमे अहां सभ सन सेहो ऐहेन भलमानुष सभ छथि नहि त हम सभ त आसे छोड़ि देने रही कि आब जिनगीमे कहियो एकरा देखब। आ ऐना सही सलामत भेटनाय, एहि मानव समुद्रमे त अकल्पनीय अछि! कहू जे अहां सभ त भगवाने भय प्रकट भेलहुं हमरा सभ लेल।" ह्यूमन ट्रैफिकिंग आ चाइल्ड एब्यूज के एहि जमानामे त ई बात आठमे अजूबा लागल हुनका सभके।

"हे, हे ऐना नहि हैत; चलू - चलू एतय अपन खेमा लगौने छी, रात्रि हमरेसभसंग बिताऊ, भोरुका अरघक बाद परसाद पाबिये कय जायब। ऐतेक उपकार केलहुं अहां सभ आबत जिनगी भरिके संबंध जुरि गेल, हम ऐना जान नहि छोड़ब। देखियौ एहिबेर गाम नहि जा सकलहुं टिकटक अभाव में त एतही पूजा केलहुं, हमर मां-पिताजी सेहो छथि, हुनके ठाम पर पहुचेबामे ई बुच्ची कोना ससरि गेल से बुझबे नहि कैल!"-ई अहि ओ हुनका सबके घीचने-घीचने अपन टेंटमे ल गेलाह आ सभसौं भेंटि करैलैथ आ सभ घटना बताबय लगलाह।

अनीता आ सुरेश के त बुझेलेन्हि जेना "घर सौं दूर एकटा आर घर" भेटि गेल, बच्चा सभकेँ त खुसीके ठेकाने नहि! ओ सभ त संगी-तुरिया संगे बाबा, दादी सभ पाबि गेलाह। भोरका अरघ संगे देलन्हि सभ गोटे। फेरतय परसाद आ सिनेहक अटूट बंधन खोंईछमे ल क अपन घर बिदा भ जाई गेलाह। एहिबेरुका छठि सभलेल अविस्मरणीय भ गेल। 
......

लेखिका - कंचन कंठ
लेखिकाक ईमेल- kanchank1092@gmail.com
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Thursday 24 October 2019

धनतेरस दिन कंगना / कवि - विजय कुमार

कविता 

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अछि आई दिन धन्वन्तरिक
शुभ-मंगलक दिन धनतेरस
अछि दीपोपंच पर्वक आरंभ
धातु, मेवाक बाजार सजल।

अछि सुन्नर मन भोरे-भिनुसरे
सुन्नर उमंगक दिन धनतेरस
छथि सजना, संगहि घूमि हम
चारू दिस जगमग चमकत

देखि सब हम की की कीनब
भरि दिन लक्ष्मीक धनतेरस
उच्छल तरंग में अछि अंगना
पाबी हम एक सुन्नर गहना।

अछि आजूक दिन हर्ष दुगुना
साफ सुन्नर दिन जे धनतेरस
भेटल खन खनखनाइत कंगना
रौशन जग रहै अखंड अहिना

अछि नै कंगना मात्र ई हमर
भेंट लक्ष्मीक दिन धनतेरस
पंख मोरक सन हर्षित हम
सजल जिनगी भरि ई कंगना।

अछि अंतर्मन सँ सजल मोन
आबै अनगिनत दिन धनतेरस
जीवनक गोलचक्र -साल, महीना
घूमय संगहि खनखन कंगना
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कवि - विजय बाबू
कविक ईमेल - vijaykumar.scorpito@gmail.com
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Wednesday 23 October 2019

गवहा सँक्राति - मिथिलाक पर्व

कुमारि कन्या सँ चिपडी पथेबाक उद्देश्य

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कार्तिक मास उत्तम मास अछि
एहिमे भरिमास आँवला क गाछतर साँझ देखाओल जाईत अछि
अक्षय नवमीक धातृगाछ तर भोजन बनाकय खायल जाईछ
धातृ के सेवनसँ रोगव्याधि नहि होईत अछि।

मिथिला क पावन भूमि पर अनेक पर्व पर्यावरण सँ जुडल अछि। ताहिमे एक अछि गवहा सँक्राति कार्तिक मासक तुला राशिक सँक्राति क मनाओल जाइछ। भोरमे कुमारि कन्या अरिपन ध गायक गोबरसँ चिपडी पथैत छथि ओहिमे सिन्दूर  पिठार लगाय कुम्हरक फूल साटल जाइछ। एहि चिफडीसँ नवान्न दिन गोसाऊनि घर मेअग्नि स्थापन कयल जाइछ आ लक्ष्मी पूजा दिनका सँठी लागाक साँझधरि राखलजाइत अछि ओहि अग्निसँ साँझखन दीप जरायल जाइछ। कुमारि कन्या सँ चिपडी पथेबाक ई उद्देश्य जे जँआगू गृहस्थाश्रम मे ओकरा जारनिक अभावमे चिपडियो पाथय पय, बच्चा क मलमूत्र उठाबय पडै, अपनासँ श्रेष्ठ केँ सेवा करय पडय त कष्ट नहि होय। साँझखन चिन वारसँ ल क आँगन धरि अरिपन पाडल जाइछ।     
                   

ओतय ककबाक अरिपन पडैछ जाहि परपीढी पर सिन्दूर पिठार लागल तामा राखल रहैछ। तामामे धान पान दूबि सुपारी राखल रहैत अछि।
तीन बेर धन धन लक्ष्मी घर जाऊ
दारिद्र्य बहार जाऊ
कहल जाईत अछि
भगवतीक अरिपन सूर्योदय सँ पूर्व मेटा देल जाइछ।

सँगहि ई धारणा अछि जे भगवती गवहा सँक्राति क चास घूमय जाय छथिन्ह आ किसान हुनका सँ प्रार्थना करय छथि जे -
हे लछमिनिया सेर बराबरि
यानी  सब धानक शीश खूब भरल पूरल रहय जाहिसँ सबके घर भरि जाय
....

आलेख - चंदना दत्त
लेखिकाक पता - ग्राम- रांटी, मधुबनी (बिहार)
लेखक का ईमेल - duttchandana01@gmail.com
प्रतिक्रिया ह्तु ईमेल - editorbejodindia@yahooo.com




चंदना दत्त

नमस्कार सब सुधीजन केँ
सूचित करैत हर्ष अछि जे कर्णकुम्भ मे 
अपन गुणक प्रदर्शन करबाक लेल स्टालबुकिंग भ रहल अछि
1बिमला दत्त स्वयं सहायता समूह राँटी
२लोककलाकृति नूतन बाला ,मधुबनी
मिथिला पेन्टिंग 
3 मधुबनी क्राफ्ट्स, लोकहित रँगपीठ सँस्थान ,मधुबनी
4 मिथिला चित्रकला शशिदत्त ,दरभंगा
5मिथिला चित्रकला रुबी कर्ण, दरभंगा
6 रचना सिक्की आर्ट्स, धीरेन्द्र कुमार
7  ज्ञानेंद्र भास्कर
8सुरेश कुमार लाभ 
अल्काइन वाटर आयोनाईजर

आऊ सबगोटे मिलि मिथिला क शान बढाबी
मेहदी,अचार,बडी अदौरी,ठकुआ पिडिकिया ,एप्लीक ,सिलाई आदिक स्टाल बुक कराऊ
कर्णकुम्भ मे डुबकी लगा बहिन भाय 
भेट करय जाऊ
कर्ण विभूतिक सम्मान करय जाऊ
चँदना दत्त



मनुवा नीक तs सब नीक /कवि - विजय कुमार

कविता
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मोन पड़ैये घर माईटक भीत केँ
चार सँ टप टप आ साय साय,
ख़ुशी आ गम सभक एक्कहि
मनुवा उमंगभरि दिन आ राईत ॥

मोन रे, दिन दूना राति चौगुना
बचपन सँ अक्खन धरि सुनि
सुनि बस यैह जाधरि ज़िनगी
सुनि ताधरि आ करि उन्नति ।

मोन कहैया विश्व में चमकैत
सुनी भारतवर्षक उच्छल तरंग,
सूनी दिलकेँ, झांक तू धरा पर
मनुवा शीर्ष पर घूमैत घूमैत

मोन रे, कहै ज़िंदगी रही सुखी
सुखी रहि सकी सभ संग संग
सुखी रहै घाटी-हिम, गंगा, जमुना
मोनक भ्रममे रहय नै कोई सुखी ।

मोन होइये कोना पाबी सुखी
सुख पाबी मान सम्मान देखि
सुखी-संसार चलै चारू दिस
मनुवा सुन्नर चलै देखैत देखैत
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कवि - विजय बाबू
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Sunday 13 October 2019

बेगलुरू (कर्नाटक) मे विद्यापति पर्व समारोह 19.1.2020 केँ होयत

कर्नाटक मिथिला सांस्कृति परिषद द्वारा तिथि मे परिवर्तन कय 19 जनवरी कयल गेल

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बेंगलुरु. 13.10.2019 / कर्नाटक मिथिला सांस्कृतिक परिषद के कोर कमिटी के मीटिंग आइ बिहार भवन में सम्पन्न भेल। मीटिंग में आगामी होब वला विद्यापति पर्व समारोह के बारे में विस्तृत विचार विमर्श भेल। मीटिंग में भेल किछ महत्वपूर्ण निर्णय के विवरण नीचा द रहल छी।

1.जेना कि पहिले स विद्यापति पर्व समारोहक तिथि 12 जनवरी तय भेल रहै मुदा 12 जनवरी क पैलेस ग्राउंड के अनुपलब्धता के चलते ई निर्णय लेल गेल कि कार्यक्रम के एक सप्ताह केँ लेल आगू बढ़ाएल जाए। सभ गोटे सर्वसम्मति सँ 19 जनवरी 2020 पर अपन सहमति देलेन्हि।

2. कार्यकारी समिति के महासचिव पद के लेल  श्री आर के सिंह के नाम के प्रस्ताव भेल आ सभ गोटे सर्वसम्मति सँ अहि प्रस्ताव के पारित कयलन्हि। हाँ सभकेँ जनतब हैत कि किछु दिन स इ पद खाली छल। महासचिव के अलावा किछु फाउंडर मेंबर सब सेहो संस्था स जुड़लाह। जूड़ वला नव फाउंडर मेंबर्स  में श्री अजय कर्ण , श्री बीरेंद्र झा, श्री आशीष मिश्रा, पालन झा, श्री कुंवर जी आ श्री विजय  कुमार जी  शामिल छैथ। नब निर्वाचित महासचिव आ सब नब फाउंडर मेंबर्स  के बहुत बहुत शुभकामना।

3.मीटिंग में जयमहल पैलेस में  22 तारीख'क भेल पिछला कार्यक्रम के आय-व्ययक ब्योरा गोविंद द्वारा प्रस्तुत कएल गेल। 

4. कर्नाटक मिथिला सांस्कृतिक परिषद  के वेबसाइट के रूपरेखा पर सेहो चर्चा भेल आ श्री अजय कर्ण जी वेबसाइट निर्माण के जिम्मेदारी स्वीकार केलैन। अजय  के अहि लेल बहुत बहुत साधुवाद। वेबसाइट निर्माण मे  गिरीश, दीपक  आ विजय, अजय के सहयोग करताह। सब गोटा के अहि वास्ते बहुत बहुत धन्यवाद।

4. वेबसाइट निर्माण कें बाद वेबसाइट के थ्रू हर महीना 2 टा विद्यार्थी के चुनाव कर के आ हुनका सबके 1 हजार पारितोषिक अपना दिस स देब के प्रस्ताव ग्रुप के सदस्य विनोद चौधरी जी रखलाह। अहि पर विस्तृत चर्चा  वेबसाइट निर्माणक बाद होयत।

5. आगामी विद्यापति समारोह के लेल ग्रुप के मुख्य संयोजक प्रजेश झा द्वारा बनावल गेल किछु महत्वपूर्ण कमिटी में जुड़S वास्ते किछु नव लोक अपन अभिरूचि आ सहमति देलैन। ऊ सूची प्रजेश जी के प्रेषित क देल जेतेन्हि।

6. विद्यापति पर्व समारोह में होब वला खर्च आ फण्ड जेनेरेट कर के वास्ते सेहो गहन चर्चा भेल आ ओहि में स्पॉन्सरशिप के अलावा टिकटक विभिन्न कैटेगरी के बारे में सेहो प्रस्ताव राखल गेल जाहि पर अंतिम निर्णय अगिला मीटिंग में लेल जायत।
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सूचना स्रोत - विजय कुमार
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Tuesday 8 October 2019

फेर खूब भेलौ जे रावण दहन / कवि - विजय कुमार

                                          दशहरा पर कविता

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अयोध्या नगरी देखि तू
ठानिकS घमंडमे चूर-चूर
रामजीके सौम्यभाव संग
लड़िकS तू भेलएँ चूर-चूर ।

निड्डर छलएँ सेहो मुदा
अहंकारी रहएँ की कम तू ?
लंका संग दशानन मुख
जरलौ खूब जो रे रावण ॥

रामजीक संग बानर सेना
आ तरकश सँ तीर निशाना
समुद्रपार दूर तोहर लंका
रामसेतु सँ दूर नै रहलौ,रावण ।

सीताजीक वृक्षक तलमे
चाल छलौ तोहर अलबेला
तत्पर हरदम हनुमान तहिना
छलमन जरलौ जो रे रावण ॥

लक्ष्मण संग सेहो सदिखन
बूटीक लेल पर्वत हाथेपर,
आनिलथि जे हनुमान सेना
सब देखलएँ तू रे लंकापति ।

गुरु विश्वामित्र शिष्य देखि
गुरूर तोहर खूब जे टुटलौ,
राम-लक्ष्मण के रीति देखि
जरूर जर तू जो रे रावण ॥

रावण जर तू फेर एक बेर
असुर मोन पड़बएँ जखने तू
जगमे सुखी सब देर-सेवर
कहि हम सब जो रे रावण ।

विजयादशमीक रामलीलामे
फेर खूब भेलौ जे रावण दहन
अदृश्य रावण जँ मरय संगहि
नव सूरज सँ मरि जो रे रावण ॥
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कवि - विजय बाबू
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Tuesday 1 October 2019

हे माँ जगत जननी दुर्गे देवी / कवि - विजय बाबू

जय माँ भगवती

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मिथिला चित्रकला - बिमला दत्त

हे माँ जगत जननी दुर्गे देवी
अहाँक शक्तिमे हमर भक्ति
अहाँकक असीम कृपा सँ रहै सृष्टि
अहाँकक अनुकंपा सँ करि अनुभूति
अहाँक नमस्कार बारंबार नमस्कार अछि।

हे सप्तश्लोकी नवरात्र विराजे मैया
अहाँक़ रूप अनेक, श्रद्धा हमर एक
अहाँक सोझा देवता सिर झुकावथि
अहाँक सम्मानमे अप्सरागण नाचथि गावथि
अहाँक नमस्कार बारंबार नमस्कार अछि।

हे माँ नौ नाउसँ प्रसिद्ध जगदंबिके
अहाँक बत्तीस रूपमे रचल संसार पूर्ण
अहाँक विशाल ललाटमे पसरल रौद्ररूप
अहाँक चरणतल जे झुकल सभ असुरदल
अहाँक नमस्कार बारंबार नमस्कार अछि ।

हे सृष्टिके पालनहारी दुर्गा माँ
अहाँक पृथक रूप आ त्रिशूलक धार
अहाँक हँ उच्चाटन तीनू लोकक पार
करी हम अहाँक मान, रखने छी बस यैह अरमान
अहाँक नमस्कार बारंबार नमस्कार अछि।

हे जग दुःखहारिणी दुर्गा मैया
अहाँक आराधना करी नित्य हम
अहाँक पूजा करी बिनु विधि बूझने हम
हम बालक के त्रुटि क्षमा करियौ माँ
अहाँक नमस्कार बारंबार नमस्कार अछि।
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कवि - विजय बाबु
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