Thursday 22 August 2019

लाल दास - मैथिली साहित्यक इतिहासमे एक अविस्मरणीय विभूति

महाकवि लाल दासक सम्पूर्ण कृति दू खण्ड मे प्रकाशित होयत

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मिथिला रामायणक रचयिता महकवि पं. लाल दासक मैथिली साहित्य में विशेश स्थान छैक कारण जे हिनकर लीखल रामायणमे सर्वोच्चता रामक बजाय शक्ति केँ देखाओल गेल अछि. भगवान राम त पूज्य छथिये बरु हुनको अपन काज करैलेल जेकर परम आवश्यकता होइत अछि ओ छथि शक्ति. कहल जाईछ जे मिथिला समाज कोनो समयमे मातृसत्तात्मक समाज छलै आ तकरे अवशेष अखनिधरि देखबामे आबै छै जे एकटा मैथिलक मुँह सँ "भगवत्तीक कृपा बनल रहय" बेसी व्यवहार होयत देखब. अहि परम्पराक निर्वाह  मात्र बुझनाई महाकवि लाल दासक कृतिक सही मूल्यांकण नहीं होयत. १८५६ ई. मे जनम लय १९२१ ई. मे अहि नश्वर शरीरक त्याग कय अपन अमर काव्यमे अवतरित भेन्हिहार पंडित लाल दास जीक शक्तिक दीस विशेश प्रवृतिक गहन प्रतीकात्मक महत्व सेहो छैक.

ई परम विडम्बना नहि त आओर की जे मिथिलाक विभूति पं लाल दासक सबसँ महत्वपूर्ण कृति मिथिला रामायणक प्रकाशन हुनकर मृत्युक तीस वर्षक उपरान्त १९५४ ई. मे भेल? ओना त हुनकर अठारह टा कृति मे सँ अधिकांश हुनकर जीवनकाल मे प्रकाशित भ गेल छलै कारण जे ओ सदखनि परम तांत्रिक आ धर्मनिष्ठ दरभंगा महाराज रमेश्वर सिंह के संगहि हुनकर छत्रछायामे रहलाह तेँ हुनका आर्थिक अभाव नहि रहलन्हि. मुदा अहि प्रखर रचनाकारक देहान्त भेला पर आ दरभंगा महाराजक अकूत सम्पत्तिक सरकार द्वारा अधिगृहीत करलाक बाद हुनको परिवार के आर्थिक कठिनाई सहS  पड़लनि. तहू सँ बड़का गप्प जे महाकवि लाल दासक वंशजमे आई धरि (जखनि कि हुनकर छड़पोता श्री सुनील कुमार दास हुनकर रचनावलिक पुनर्प्रकाशनक अभियानमे लागल छथि) कियो स्वयँ साहित्यकार नहि भ सकलाह. श्री सुनील कुमार दास ओना तँ राष्ट्रीयकृत बैंक में उच्च अधिकारी छथि मुदा ओ अपन सम्पूर्ण जीवन केँ २०१० ई. सँ अपन छड़बाबा (परपितामहक पिता) पं लाल दासक कृति केँ पुनर्प्रकाशन करैमे लागल छथि. किछु केँ करा सकलाहये आ किछु मे साहित्य अकादमीक सहयोग सेहो प्राप्त भेलन्हि अछि. 

जे पुस्तकक प्रकाशन आई सँ सौ वर्ष पहिने पं लाल दास जीक कालमे भेल छलै ओहो आब कतहु उपलब्ध नहि छैक आ अन्य अनेक अप्रकाशित कृति सेहो बाँचल अछि. श्री सुनील जी केँ किछु स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या भ गेल छलन्हि तहिया त ओ २०१० ई. मे बिहार सँ मुम्बई स्थानानतरित भ गेला. तखन हुनका  ई अंतर्दृष्टि भेलन्हि जे हम अप्पन पूर्वजके नहि वरन पूर्ण मीथिला समाजक अमूल्य धरोहरक लुप्त होब दयमे चुपचाप रहि सहयोग नहि देब आ स्वयँ लाल दासक सम्पूर्ण रचनावली केँ दू खण्ड - 1. पद्य खंड आ 2. गद्य खण्ड में प्रकाशित करायब. पद्य खंड त प्रकाशनक लेल द देल गेल अछि. सम्पूर्ण मिथिला समाज अहि सुकाजक लेल हुनकर ऋणी रहतन्हि. इति शुभम्!

(ई आलेख दिनांक १८.८.२०१९ केँ श्री सुनील कु. दासक निवास पर हेमन्त दास 'हिम' 'क वार्ता पर आधारित थीक.)
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आलेख - हेमन्त दास 'हिम'
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - e3ditorbejodindia@yahoo.com






























2 comments:

  1. प्रणाम मामा,बहुत उत्कृष्ट कार्य
    हम हुनकर प्रप्रपोत्रीक पुत्री
    हमरे कथा संग्रह की विमोचन पं लालदास जयन्ती समारोह मे भेल अछि।

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    1. कमेंटक हेतु हार्दिक धन्यवाद. अपनेक संदेश मामाजी के भेंट गेल हेथेन्हि.

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