Saturday 17 August 2019

चिट्ठी / कंचन कंठ

तीन पुश्त कें एकसाथ राखी आ संगहि चिट्ठी

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बीतल जमाना कें सबसँ बरका खूबी छल, जे हम सभ किछु-ने-किछु लिखैत छलहुँ; मुँहजबानियो बड्ड  काज होइत छल  मुदा लिखलाहा के बाते अलग! चाहे गीतनाद होऊ कि चिट्ठी पत्री। चिट्ठिये टा नहि, जखन डाकिया कोनो खुशी के चिट्ठी लऽ कऽ अबै तऽ ओहो हितमीत सौं कम नहि बुझाय। जे पढ़ि-लिख नहि सकैत छलीह तिनका लेल तऽ देवता।

खैर, ई पत्र-पुराण हमर कनि अलग अछि। हमरा कोनो पुस्तक अथवा किछो मनोरंजक पढ़य लेल भेटि जाय तऽ हम आ हमर ओ किताब या पत्रिका। व्यवधान नहि होय ताहि लेल कोठाम (छत) सौं लऽ कऽ पलंगक नीचा तक कोनो स्थान हमरा लेल अछोप नहिं । नव मैगजीन के आगमन आ हमर विलुप्ति दुनू एकहि संग होय। आरे बा तऽ कि करितहुँ! एतय तऽ एक अनार, सौं बीमार वला हाल छल। तऽ हमर नम्मर अबैत-अबैत तऽ पुरना जाइत कि ने।

हमहुँ ने, कि कहू एहि ठाम आबि बहकि जाइ छी, मने "जाना था जापान, पहुंच गए चीन" वला हाल भऽ जाइत अछि। कतय छलहुँ हम, हँ तऽ पढ़ैत रहैत छलहुँ तऽ लिखैयो के मौका लगैत छल तऽ कखनो कविता के उत्तर लिखै मे निकलै तऽ कखनो चिट्ठी लिखै मे। तऽ चिट्ठी लिखै छलहुँ दीदी के, भैया के, सखीगण केँ। राखी भेजलहुँ तऽ सदिखन चिट्ठी जरूर लिखै छलहुँ। ओनाहूँ तऽ पहिने यैह एकटा साधन छल। एहि चिट्ठी पर कैकटा कवि, तऽ गीतकार संगीतकारके जीवन बनि गेलैन। कतेको गीत गायल गेल अछि "चिट्ठी जे लिखई ओझा", "पिरिय पराननाथ सादर परनाम" आदि कैकटा गीत, बटगबनी आदि। कतहु बहिन, भाई के कुशल मंगल चाहैय छथि तऽ कतहु ओहि मे माय-बापक आशा औ विश्वास छैन्ह तऽ कतहु विरहिनि के प्रेम-ओ आशंका। कतेक विविधता भरल छल ई चिट्ठी - पत्री के संसार! "पिता के पत्र पुत्री के नाम"- स्वर्गीय प्रधानमंत्री नेहरू लिखित तऽ विश्व-प्रसिद्ध अछि।

खैर, हम जखन सासुर एलहुँ तऽ एकटा विचित्र बात देखलहुँ। हमर सासु माँ के अपन चिट्ठी बेटा सौं लिखबैत। आ ओ जे सब कहैत छलीह ओ  सबटा लिख दैत छलाह, नीक -अधलाह, जे ओ कहैत छलीह। हमरा हँसियो लागल आ छगुन्तो भेल कि अपन बुराई अहाँ अपने किया लिखैत छी। ओ कहलैथ कि ई तऽ माँ ओ मामा सभक गप छैन्ह तऽ हमरा कि जाइत अछि! आखिर ओहो तऽ अपन मोनक गप कतहु करतीह। बाद में ओ हमरा सौं लिखबय लगलीह आ कहि दैत छलीह कि ई - ई सभ लिख दिहैं।

आब तऽ जखन हमरा बेटी भेल तऽ एक संगे तीन पुश्त कें राखी पठाबय परय। ओफ्फ्फ! कत्ते मोश्किल  ने ! गिनकऽ राखी, लिफाफा, टिकट, पता, पिनकोड सहित, बाप रे! एत्ते सभ घरक काजक संग ईहो सभ काज रहै छला। ताहि पर सौं सभमे चिट्ठी लिखनाय। मुदा सब पैघ-छोट के यथोचित पत्र लिखैत रही आ पंद्रह दिन पहिने पोस्ट करैत रही।

जिनका नहि भेटैय तऽ फेर क्लास लगैत छल कि जरूर पता वा पिनकोड में गड़बड़ी केने हेबही। आ जखन भोरेभोर मामाजी सभ राखी बान्हिकय आशीषक फोन करैत छलाह तऽ मेहनत सफल बुझाय। 

आब तऽ ओ सभ सपना आ कि मुरूखते लगतै लोक के कि ई फोन, व्हाट्सएप, स्काइप के जमाना मे चिट्ठी! मुदा न हम कम-स-कम राखी पर चिट्ठी जरूर लिखै छी आ बेटियो सभ पर जोर दै छी। तऽ एहि बेरि जखन सुरभि  चिट्ठी अपन सभसौं छोट पिसियौत भाई के चिट्ठी लिखलक तऽ ओ बच्चा तऽ किताब-काॅपी  जेकरा सौं कनि-कनि परिचय भऽ रहल अछि एखन हुनका ततेक नीक लगलैन्हि  कि ओ नाचि-गाबिकय दिनभरि पढ़ि रहल छथि। तऽ बड़की बहिन श्रेया दीदी झटि दय वीडियो बनाकय पठा देलैथ।  सभ गोटे के स्वतंत्रता-दिवस ओ रक्षा- बंधनक हार्दिक बधाई ओ शुभकामना।
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आलेख - कंचन कंठ
लेखिकाक ईमेल - kanchank1092@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

लेखिका - कंचन कंठ

सखी बहिनपा समूहक सदस्यगण

   

7 comments:

  1. धन्यवाद हेमंत जी।किंतु एहि छाया चित्रकार संग किछु अलग उद्गार छल हमर। तथापि धन्यवाद।🙏

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    1. आर्टीकल मे कोनो फोटो देमS पडै छै. अपने सभ कोनो फोटो नहि दै छियै त ब्लॉग एहन कोनो फोटो द दै छै लेखिका केँ जे पहिने नहि देल गेल होई.

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  2. अथ चिट्ठीनामा बहुत नीक
    एहि सब चिट्ठी के संकलित रूप मे अनने छथिन्ह लेखिका शेफाली वर्मा
    आखर आखर प्रीत। स्नेह रहे छल आखर आखर मे भरल
    बहुत नीक।संस्मरण

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    1. यदि blogger.com पर गूगल पासवर्ड से login करके यहाँ कमेंट करेंगे तो आपके blogger profile वाला नाम और फोटो यहाँ दिखेगा.

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  3. बचपन याद आ गया वाह keep it up 👌👌

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  4. बहुत बढ़िया प्रस्तुति. एहन लागल जेना बचपन सामने सं गुज़र गेल. ����������

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