Friday 26 October 2018

मैथिली केँ प्राथमिक स्तरक भाषा बनाब' लेल माँग


मैथिली भाषा केँ प्रथमिक शिक्षाक माध्यम बनाब'  लेल जोर-शोर सँ प्रयास भ' रहल छै.



सामग्री सौजन्य- शिव कुमार मिश्रा

Tuesday 16 October 2018

कनी बाजि दिऔ आ आन मैथिली कविता / अरुण कुमार लाल दास

कनी बाजि दिऔ!


हे  प्रिये  !
कनी  बाजि  दिऔ
कतेक  भाव  छी 
अहाँ  मन मे  छुपौने 

खंजन  नयन ,
गुलाबी  ई  चितवन 
ऊठय , लहर  मारय
हिलकोर  मन मे
बहल जा रहल जनु 
सरिता  शराबी

अधर क हँसी  मृदु
गुलाबक  कली  हो 
हमरा   मोताबिक  
कनी  साजि  लियौ,
हे  प्रिये ! 
कनी  बाजि  दिऔ.



बाढिक संत्रास 

प्रकृति केहन निष्ठुर भेल देखू
झमझम वर्षा बरिस रहल अछि 
भीजल वसन चिलकाक कोर मे
टुकड़ा चानक चमकि रहल अछि  

कोठा सोफा सजल बिछौना
थहा थही मे गृहणी कनियाँ
लह लह करैत धन खेती सब 
गदगद मालिक आ बनिहारक 
मुस्की आ मुस्कान लिखै छी
समय के हम सम्मान लिखै छी ।
बान्ह टुटल कोशी कछाड़ मे
मिनटहि मे सब भेल हतप्रभ
के भागत आ कोना क भागत
कथी समेटी की धय राखी,
चौकी पर चौकी गेटय मे 
लागल गृहपति आ नेना सब
की लय भागि जाइ जल्दी सँ
त्राहि करैत इन्सान लिखै छी
समय भेल बेइमान लिखै छी

गाय भैंस सब तोरलक खूंटा
मांउ मांउ करै पररू सब
बकड़ी छकड़ी सब भसियायल
बच्चा बुच्ची नेना भुटका
भूखे आकुल व्याकुल भ क
खोजि रहल छथि तीमन टटका
     
गृहपति लागल छथि जोगाड़ मे
ससरि जाइ सब क्यो मिलि झटका
क्यो ककरो घुरि नहि देखैत अछि 
सबहक सांस अटकि गेल छै
एहन पराभव  छल नहि देखल 
धैयॅक इम्तिहान लिखै छी 
समय बहुत बलवान लिखै छी ।

कहाँ नाह आ कहाँ पुछारी
सब किछु भासि गेल भंवर मे
बचल न चुटकी भरि दाना घर मे ,
पुल पुलिया मे फसल लहासक
गणना होइत अनुमान देखै छी
अपना के अपने स सानत्वना  दैत, 
कथा महान लिखै छी
समय बहुत बलवान लिखै छी
बाढिक ई संत्रास भयंकर 
दुदिॅनक हम निदान तकै छी
मिथिला बासी होउ अग्रसर
जन जन के आह्वान लिखै छी.
..............
कवि- अरुण कुमार लाल दास 
निवास -मधुबनी

कविक आत्मम-परिचय :

बचपन स साहित्यक प्रति लगाव रहल। सतत किछु किछु पढैत लिखैत रहलौं । कथाकार कें रूप मे मुन्सी प्रेमचंद हमर सबसॅ प्रिय कथाकार छथि ।ताहि दिन मिथिला मिहिर पत्रिका छपैत छल । मैथिली अपन मात्रृभाषा रहने बहुत पियरगर अछि । हरिमोहन झाक रंगशाला मे डूबि जाइत छलहुॅ । मिथिला मिहिर मे नेना भुटकाक चौपाड़ि मे वाल कथा सब लिखैत  रही। प्रकाशित सेहो होइत रहल । दस पनरह कथा सेहो प्रकाशित भेल छल हमर लिखल।बैंक मे अधिकारी रहैत  कहियो काल पढि लैत  छलहुॅ साहित्य के नाम पर किछु मुदा लिखब संभव नहि भ' सकल स्टेट बैंक स रिटायर भेला सन्ता किछु पहिलका रूचि फेर जागल अछि त ओकरे मुतॅरूप देबय मे लागल किछु किछु पढैत लिखैत कविता आ लघुकथा सेहो लिखने छी। लिखिए रहल छी । हिंदी मे सेहो  किछु कविता लिखलहुॅ अछि  ।आगां सेहो प्रयास जारी रहतै।अहाॅ सभक सहयोग अपेक्षित अछि ।


Sunday 7 October 2018

रौशन जनकपुरी रचित पुस्तक पर शैलेंद्र नारायण मल्लिकक विचार


शुभेच्छा


हमर लंगाेटिया राेशन जनकपुरी जे भातिजाे छैथ, हुनक नेपाली भाषामे लिखल एकटा बहुमूल्य कृति ( नेपालका प्रदर्शनकारी कला, प्रादेशिक अनुसन्धान, प्रदेश नं.२) टटकाटटकी प्रकाशित पुस्तक पढलहुँ । ३१० पृष्ठक एहि पाेथीमें सम्पूर्ण मिथिला-भाेजपुराक इतिहास, संस्कृति-कला परम्पराक कथा-व्यथाके चित्रणक संगहि सप्तरीसँ पर्सा जिल्लाधरिक समग्रक्षेत्रक अावश्यक विश्लेषण कयल गेल अछि । मित्र राेशन जनकपुरीके र्इ कृति हुनक विद्वताके अद्वितीय प्रस्तुति अछि अा र्इ हमरालेल गाैरवक विषय अछि ।

प्रस्तुत अनुसन्धानात्मक पुस्तकमे सप्तरीसँ पर्सामध्य हरेक जिल्लाक भाैगाेलिक परिवेश अा नदीसभक चर्चाके संगहिजिल्ला सभक सदरमुकामके एेतिहासिक पृष्ठभूमि अा अाेहि जिल्ला अन्तर्गत स्थित प्रसिद्ध स्थल, स्थानिय भाषा,विविध संस्कृति,धर्म अा जीवन शैलीक समन्वित समाजक यथार्थ चित्रण कयलगेल पक्ष एवं इतिहास अा एहिक्षेत्रक कला,साहित्य नाटक अा संगीतक लाेक अा अाधुनिक पक्षक अध्ययनक गहिरार्इके पुष्टि करैत अछि । सप्तरीसँ पर्सा जिल्लाधरिक समग्र इतिहास, संस्कृति अा कला-साहित्यक विविध विधाक जानकारीकलेल जिज्ञासु लाेकनिक हेतु र्इ पुस्तक यथाेचित सहयाेगी भ, सकैछ से हमर विश्वास अछि ।

अन्त्यमें, भविष्याेमें अहू सँ गहन अा परिष्कृत कृति प्रकाशित हेतैन्ह से अपेक्षा रखैत मित्र राेशन जनकपुरीके उत्तराेत्तर प्रगतिक कामनाक संग प्रकाशित एहि कृतिक लेल बहुतरास बधार्इ ।...
.....
आलेख- शैलेंद्र नारायण मल्लिक
लेखकक लिंक- एत' क्लिक करू
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल- editorbiharidhamaka@yahoo.com



Saturday 15 September 2018

गोदावरी दत्तक नामक अनुशंसा पद्मश्री सम्मानक लेल



मिथिला चित्रकलाकेँ जानल-मानल नाम गोदावरी दत्तक नामकेँ पद्मश्री सामानक लेल प्रस्तावित कयल जा रहल अछि.  हुनकर लिंक छै- एत' क्लिक करू

गोदावरी दत्त मिथिला पेंटिंगक चोटी केर कलाकार मे सं एकटा गिनल-चुनल नाम छथि। चुनौती सं भरल हिनक जिनगी भारतीय ग्राम्य स्त्री समाजक वास्ते एकटा बहुत पैघ प्रेरणाक स्रोत छैक। मिथिला कला के घर आँगन सं उठा कए अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर प्रतिष्ठापित करबा मे हिनक विशेष योगदान छनि। अपन बारे में हिनकर कहनाम छैन्हि कि- 
"जिनगीक कठोर सांझ मे उम्मीदक रोशनी बनि कए आयल कला"
..
आलेख - कुमुद दास
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल- editorbiharidhamaka@yahoo.com

Thursday 7 June 2018

महेश डखरामी कृत 'महेश मंजरी'क समीक्षा भास्कर झाक द्वारा

"मिथिला आ नारीक सम्मान हेतु कृतसंकल्पित कवि 

महेश डखरामी जीक प्रथम काव्य-संग्रह "महेश मञ्जरी" पुरातन अधुनातनक मध्य प्रांजल भाषाक साधल प्रयोगक सुन्दरतम उदहारण बूझना जाइत अछि । विद्यापति जयदेवक काव्य-परम्पराक अनुसरण कए डखरामी जी मैथिलीमे कोमलकान्त पदावलीक सृजन माध्यमे समकालीन मैथिली काव्यलेखनक क्षितिज पर एकटा सशक्त हस्ताक्षरके रुपमे उदीयमान भेल छथि। "महेश मञ्जरी"मे कुल ८३ गोट कविता अछि जेकि "मनुक्खक आशक-अभिलाषक पातक-परातक, रीतिक-प्रीतिक, उक्तिक-मुक्तिक, बाटक-घाटक, तालक-भालक, कालक-कृपालक माने मोनक विभिन्न अवस्थाक भावक मंजरीअछि। कवि अपने कहैत छैथ-

मनहि छाया मनहि माया
मनहि चिंतन सार
मनहि मौन मनहि नाद
वेग अपार
  
काव्य-संग्रहक पहिल तीन गोट कवितामे महेश डखरामी सुन्नर स्तुति आ विलक्षण वंदना माध्यमे अपन धार्मिक-पौराणिक ज्ञान-आस्था आ विविध देवी-देवताक प्रति अपन अगाध प्रेम ओ श्रद्धा अभिव्यक्त केने छैथ। । देवी स्तुति”, “भगवती वंदना” , “गणेश वंदना” , “विद्यापति वन्दनाआदि किछु उदाहरण द्रष्टव्य अछि।

डखरामी जीक किछु कविता आत्म-परिचयात्मक अछि।अपन परिवार, नाम, गाम, गामक चौहद्दी आदि विषयकें ओ स्पष्ट रुपे चित्रण कएने छैथ। परिचयकविताक माध्यमसं कवि अपन परिचय दैत कहैत छथि-
नाम महेश गाम डखराम
  ----------
  
बलिया सकरी मूल दरिभंगा
एहि कविताक अन्तमे कविक लालषा-अभिलाषा व्यक्त- अभिव्यक्त भेल अछि।

डखरामी जी माटी-पानिक कवि छैथ। हुनक किछु कविता मातृभूमि मिथिलाक यशोगानक परम्पराक चित्ताकर्षक वर्णन करैछ। कविक मिथिला आ ग्रामक प्रति प्रेम बड्ड प्रशंसनीय अछि। अपन माटि-पानि आ मिथिलाक प्रति कविक सिनेहक भान करबैत परिचयकविताक पांति-पांति युग चेतनाक वरिष्ठ कवि यात्री जीक इयाद दिया रहल अछि।

धरती मिथिला मायक कोर
 पुनि पुनि दर्शन मिथिला भोर
 मन वांछा आबय अवसान
 अंतिम सांस मिथिला धाम

 मिथिलाक गौरवपूर्ण इतिहासक बखान यात्रा मिथिला धामकवितामे सेहो अभिव्यक्त भेल अछि-
 धरती ऊपर स्वर्ग सृजन
 मिथिला मरण बैकुण्ठ गमन
 कोटि प्रणाम हे पावन धाम
 धन्य दर्शन मिथिला धाम


मिथिला मानकवितामे कवि मिथिलाक गुण गाबि रहल छथि। मिथिलाक पौराणिक, साहित्यिक, सामाजिक, भौगोलिक विशेषताकें गरिमापूर्ण बखान करैत लिखैत छथि-

हम मधुर मधुपक पद्य पुनीता
 हम चंदा केर छंद सुनीता
 हम सीता रामक रामायण
 हम गोनूक बुद्धि परायण
 हम मंडन भावक मंजुल महती
 हम मांछ मखानक मंगल धरती


डखरामी जीकें श्रृंगारी कवि कहल जा सकैछ। ओ अपन कवितामे राधा-कृष्णक प्रेम, विरह- वेदना आदिकें उत्कृष्ट रुपे चित्रांकन कएने छैथ। कविक रचना-सर्जना, कव्यक भाव-भंगिमा पर कविपति विद्यापतिक प्रत्यक्ष प्रभाव दृष्टिगोचर भरहल अछि। विद्यापति द्वारा वर्णित राधा-कृष्णक उद्दात्त प्रेम महेश जीक मोहन मानमे उजागर भेल अछि। श्रृंगार- रससं आप्लावित मोहन मानउपमा आ अनुप्राशक सम्यक संगम अछि । रुपकके रुपमे मुरलीके बड्ड भागनीमानि रहल छथि कवि-

मोहन मुरली बड्ड भागनी
  सतत श्याम संग
 खन कटि खन अधरहिं
 चुम्बित अंग तरंग

मोहन मुरली”, “राधा कृष्ण”, विरह”, “राधा दर्शन”, “राधे श्याम”, “राधा भाव”, “राधा रमनआदि कवितामे हुनक राधा-कृष्णक प्रेम भावक प्रवाह भेटछ।

डखरामी जीक काव्य-लेखन पर सुप्रतिष्ठित कवि काशीकान्त मिश्र मधुपजीक स्पष्ट प्रभावक परिदर्शन होइछ। राधा विरहमे ओ राधाक विरहोद्वेगक बड्ड मर्मस्पर्शी चित्रांकन कएने छथि-

विछोह वेदना कृष्ण रंग धारण
 ताप धाह तन नील
 विद्ग्ध हृदय बिनु दरशन माधव
 तजल लाज गुणशील


नारी सृष्टिक महत्वपूर्ण अवदान- वरदान थीक। कवि अपन कवितामे मानव जिनगीमे नारीक महती भूमिकाके उद्भासित करैत नारीक विविध रुपक यशोगान करहला अछि। बेटी” , “नारी”, “मांकविता नारीक प्रति प्रेम आ श्रद्धाक विलक्षण उदाहरण अछि। कवि-पिता बेटीक महत्व कें रेखांकित करैत लिखैत छैथ-
बेटी थिक परिवारक पहिचान
एक पिताक पैघ सम्मान
  
डखरामी जी सामाजिक सरोकारक कवि छथि। सामाजिक विद्रूपताकें बड्ड लग सं देखि हुनक कवि हृदय सहजहि द्रवित भजाइछ। ओ कविताक मादे दहेज प्रथा पर चोट्गर प्रहार करैछ।। उक्त कविताक अन्तमे ओ एकटा महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश दैत मिथिला समाजक समस्त पितृ-समुदायसं  विनती करैत कहैत छैथ -
 बेटाक नै लेब तिलक मन मे ठानू
 आग्रह अहि पिता सं विनती मानू
  
नारी मायक स्वरुपमे पूजनीया-वंदनीया आ नारी शक्ति समस्त सृजन केर आधार थिकीह। नारीकवितामे डखरामी जी निम्न रुपे नारीक देवी रुपक यशोगान करहला अछि -
 हम लक्ष्मी लखिमा ललिता छी
 हमही सती सावित्री सीता छी
 महाकाल कृपाल सभ दसोदास
 हमही कालिका खप्परधारी छी

दोसर दिसि, हुनक मांकविता मायक महिमाक बखान करहल अछि -
 माय, मनुक्खक पहिल गुरु
 शब्द मिमांसा अहीं सशुरु
 सा ते भवतुक अर्थ बुझाबी
 आंगुर धरि कबाट देखाबी
 संततिक सम्पत्ति अहांक मुहक मुस्कान
 करब कतेक तोर बखान

सौम्य सौन्दर्यक अभिव्यक्ति कवि डखरामी जीक प्रमुख विशेषता थीक। उपमा, रुपक, एवं अनुप्रास अलंकारक सुसंयोजन आ शाब्दिक सुन्दरता हुनक लेखनीकें प्रखर ओ मुखर बनबैत अछि। चित्रलेखाकविता एहने काव्य-विशेषताक उदाहरण अछि जाहिमे ओ नारी अथवा अपन प्रियतमाक कायिक, मानसिक, व्यावहारिक सौन्दर्यकें बड्ड नीक रुपें शब्दांकित करहला अछि-
 सुंदर सुशील शीतल सुषमा
 अहांक तुल्य नहि दोसर उपमा
 बुद्धि विलक्षण बोल विशेष
 बजितहि भागय कष्ट कलेश


डखरामी जी कर्म ओ आसक कवि छैथ। जिनगीकविता कर्मक मर्म आ आशक बाट नहि छोरबाक सीख द रहल अछि-
  काज सकखनो मुंह नै मोड़ी
 आशक बाट नै कखनो छोड़ी
 संगहि समयक महत्व पर हुनक विचार ध्यातव्य अछि
 बीतल समय पुनि नहि आबय
 केयो कतबो जतन लगाबय


कुम्हारकविताक मादे कवि जीवनक मूल मन्त्र दिस ध्यान देबाक हेतु प्रेरित करैत छथि। कुम्हारक उपमाक सफ़ल प्रयोग करैत ओ नवसृजन करबाक प्रेरणा जिनगीके जीबाक सीख दरहला अछि-
 मन अशांत तहरी भजन
 नहि आवेश मे विष वमन
 जीवन मंत्र कें करी स्मरण
 बनि कुम्हार करी नवनव शृजन
  
डखरामी जीक कवितामे बूढ माय-बापक प्रति सेवाभावक सटीक चित्रण भेल अछि। पिताक वेदनामे बूढक दुर्वस्था सं द्रवित भओ कहि उठैत छ्थि-
 धिया पुता सभ दिल्ली धेलन्हि
 बुढहा धेलन्हि गाम
 हुनिका थारी नहि तरकारी
 पूतक मुंह मे पान
 कहूं अहांके नीक लगैए
  एसगर बाप खाट पर परल
 निन्न आंखि नहि चिन्ता मे गडल
 पदचाप पर चैंकिके उठथि
 किंचित बौआ एलथि गाम
 कहूं अहांके नीक लगैए
  
डखरामी जी अपन कविताक माध्यमे जीवन-दर्शनसं सेहो परिचय करबैत छैथ। लौकिकताक सम्यक वर्णन के पछाति कवितामे अभिव्यक्त पारलौकिकताक अन्तर्दृष्टि हुनक अध्यात्मिक व्यक्तित्वक परिचय दरहल अछि। “'पचगोटियामे पंचमहाभूतक सान्दर्भिक मह्त्व व्यक्त करैत सकल संसारक तुलना खेलक आंगनसं करबाक उद्देश्य पाठक केर मोनमे आत्म-चेतनाक जागरण मात्र अछि। ओ कहैत छैथ :
 संग गोटी पाँचक खेल
 पाँचे तत्व प्रकार
 पाँचे साँचे पञ्च परमेश्वर
 सखी भाव उद्गार
 सकल जग खेलक आँगन
 एक्कहि सभुक भर्तार
 तत्व पाँचक मिलन पूरण
 चिंतन मनन विचार
  
हुनक मैथिल हुंकारओजपूर्ण कविता छैन जाहिमे ओ समस्त मिथिला समाजकें चिर सुसुप्तावस्थासं जगेबाक प्रयास करहला अछि। एहि रचनाक आखर आखर्मे कविवर सीताराम झाक स्पष्ट प्रभाव देखा रहल अछि। हुनके जकां ओ हुंकारैत छैथ-
 सुप्त उत्ती आब पजारु
 कसू डार रणभेरि बजाबू
 .......
  
हम मैथिल विररो बिहारि
 लेसब दीप उजास अन्हारि
  
एहि प्रकारे, पोथीमें समाहित कवितासभके देखला पर लगैत अछि जेना विद्यापति अपन नव रूप में एहि समयकालमे आबि समकालीन दृष्टिसँ समस्त परिवेशके देखि कविता रचि रहला अछि। कवितामे प्रांजल भाषाक साधल प्रयोग, विलुप्त मैथिली शब्दकें पुनर्जीवित करबाक हुनक प्रयास आदि काव्य-सौन्दर्यसं आप्लावित अछि। । मैथिली साहित्य-सर्जनमे जाहि शैलीकें विस्मृत कदेल छल, ओकरा पुनर्जीवन प्रदान करबाक लेल उद्यत कवि महेश डखरामी अपन भाव आ शैलीसं एहि पोथीमे बेस प्रभावी छैथ। हुनक कवितामे चिरन्तन सत्य, जीवनक सातत्य एवं शाश्वत जीवन मूल्यसं परिचय होइछ। हुनक रचना हुनक विचार मंथनक सार छी। डखरामी जी अपन कवि -मोनक आवेग-वेगकें संयमित ओ नियंत्रित कओकरा काव्य-धाराक रूप देमय में सफल भेल छैथ। श्रृंगारिकता, भक्तिपरक करुणासं आवेष्टित कविता, जीवन- दर्शन, मिथिला-मैथिली प्रेम, राधा- कृष्णक साख्य भावक संग संग शाब्दिक सौन्दर्य, उपमा,रुपक, अनुप्रासक समीचीन प्रयोग आदि पोथीके सुन्नर ,सार्थक आ उपयोगी बनौने अछि।
 हुनक अगिला पोथीक प्रतीक्षा करैत डखरामी जीकें हार्दिक शुभकामना!
 ........
 समीक्षक- भास्कर झा
 समीक्षकक ब्लॉग- httpsbhaskaranand-jha.blogspot.com
 प्रतिक्रिया इस ईमेल पर भी दए सकते हैं- editorbiharidhamaka.blogspot.com

समीक्षकक परिचय- भास्कर झा मैथिली, अंग्रेजी आ हिंदी के उत्तम कवि छथि. तीनो भाषा पर  हिनकर पूर्ण अधिकार छैक. ई अंग्रेजीमें अपन अनुरक्ति आ सक्रियता के बादो मैथिली के सेहो प्राथमिकता दैत छथि किएक तं ई जानैत छथि जे अपन मातृभूमि आ अपन संस्कृति के बिनु कोनो पहचानि बेकार अछि. हिनकर अति महत्वपूर्ण साहित्य साधना के हम सभ ह्रदय सं सराहना करैत छी आ निश्चित रूप सं ई मिथिलावासिक सम्मानक पात्र छथि.




Sunday 7 January 2018

बदलल-बदलल सन दिल्ली / अजित आज़ाद



2010 के बाद सँ दिल्ली मे मिथिला-मैथिलीक गतिविधि लगातार बढ़िये रहल अछि। मृतप्राय संस्था सभ जतय फेर सँ फांड़ बन्हलक अछि ओतहि किछु नव संस्था सभ एतहुका बसात मे अलग सँ ऑक्सिजन भरलक अछि। यद्यपि 2003 मे अष्टम अनुसूची मे मैथिली सम्मिलित भेल आ ओहि समयक धरना-प्रदर्शन, समारोह, आयोजन-प्रयोजन आदिक भूमिका महत्वपूर्ण रहल छल मुदा आइ जे हँसैत-बजैत परिदृश्य अछि तकर अभाव छल। एहि परिदृश्यक निर्मिति मे मैलोरंगक नाट्य आंदोलन उल्लेखनीय योगदान देलक। मैथिली साहित्य महासभा आ मलंगिया फाउंडेशनक गठनक बाद मैथिलीक आयोजन-विस्तार भेलैक। 5-6 ठाम विद्यापति पर्व समारोहक आयोजन होबय लागल। लोकक जुटान सए-सैकड़ा सँ हज़ार होइत लाख मे बदलि गेल। गायक-गायिका सभक लेल तीर्थ भ' गेल दिल्ली। मैलोरंग सहित बारहमासा आ अछिन्जल आदिक कारणे मैथिली नाटकक तीर्थ ई पहिनहि भ' गेल छल। युवा सभक धमक सगर देश अकानय लागल। मैथिलीक आयोजन ताल ठोकि के तालकटोरा सँ ली मेरेडियन मे होमय लागल। राजनेता सभक चानी भ' गेलनि त' किछु मैथिल सभ सेहो लहका खेलाय लगलाह। किछु के सुतरबो कयलनि, किछु सुतारक जोगार मे छथि। मुदा ई अलग बात! ई सभ चलैत रहैत छैक। आगुओ चलैत रहतैक। मुख्य बात छैक परिदृश्यक निर्माण। से भेलैक अछि। विनोद कुमार झा यदि एतय मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल करबाक सपना सजौलनि अछि त' से एही परिदृश्यक कारणे। साहित्यिक चौपारि एतहुका एक नव आ जरूरी अध्याय थिक। एनएसडीक समानांतर राष्ट्रीय साहित्य विद्यालय।

चारि दिन सँ दिल्लीक एहि बदलल माहौल मे अपना समयक दिल्ली ताकि रहल छी। अर्थात 1994 सँ 2000क बीचक दिल्ली। मुदा ने ओ नगरी ने ओ ठाम! मेट्रो-संस्कृति सँ जीवन मे गति आ लय आयल बुझना जा रहल अछि। संभव अछि जे सुभ्यस्त सेहो भेल हेता एतहुका लोक मुदा हमरा चकित-विस्मित करैत अछि किछु युवा सभक समर्पण, सक्रियता आ सम्मान-भाव। अपन भाग पर अदौ सँ गुमान करय बला मिथिला बाद मे अयाचीक साग पर गुमान करय लागल छल। फेर की-कोना भेलैक जे पाग पर करैत-करैत ताग पर करय लागल। हम मुदा एखन मैथिलक जाग (जागरण) पर गुमान क' रहल छी। रमण-चमन सँ साहित्यिक-सांस्कृतिक अध्ययन-मनन धरि पहुँचल ई यात्रा चलैत रहबाक चाही मित्र लोकनि...प्रकाश झा, संजीव सिन्हा, विमल जी मिश्र, नीलेश दीपक, मुकेश झा, ऋषि मलंगिया, अमित आनंद, केशव झा, सुनीत ठाकुर, मनीष झा बौआभाइ, शरत झा, निशित कुमार मिश्र, मणिभूषण झा, एकांत राजीव, राहुल झा, बिभा कुमारी, सविता झा सोनी, रामबाबू सिंह मधेपुर, मनीष आनंद।


(किछु वरिष्ठ अवदानीक नाम मित्रक सूची मे संकोचवश नहि लेल अछि। कृपया क्षमा करथि कैलाश कुमार मिश्र, अमरनाथ झा, नीरज पाठक, सविता झा खान जी)