Thursday 15 October 2020

पाते सन हमहूँ सखि / कवयित्री - कंचन झा

कविता 

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हरियर पात, जीवन संजोने

ता धरि हरियर रहइछ

जा धरि गाछक ताग पकड़ने

 जुड़ल ओकरे सँ रहइछ


थाप बसातक, जोड़गर अबइछ

सुटकल पात जे, नेह पबइछ

जेना करेजमे माईक साटल

नेन्ना, बुदरुक रहइछ।


कोनो पात जे, बड़का भ गेल

डंटी सँ ओ छिटकल रहइछ

कोना बचाओत गाछ ऐंठल केर

बसात नेने दूर जा पटकइछ।


तहिना हमहूँ, हे संगी सुनू

संस्कृति केर जँ मोल नै बुझबै

दूर फेकायब जा क कतौ

के चीन्हत आ ककरा चिन्हबै।

...

कवयित्री - कंचन झा 
कवयित्रीक ईमेल आईडी - kjha057@gmail.com
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Friday 9 October 2020

ओ महात्मा गांधी अपन / कवि - हेमन्त दास 'हिम;

 गांधी जयंती पर विशेष 

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गांधीजीक भूमिकामे प्रसिद्ध अभिनेता जावेद अख्तर खान


देशक धरती मुक्त करौलनि, काटल सामाजिक बंधन
सच्चाई आ सादगी केँ ओ अजस्र स्रोत केँ नमन।
देशक उर मे बसल रहय छथि ओ महात्मा गांधी अपन।
महात्मा गांधी-2

अत्याचारी अंग्रेज सँ सभ देशवासी तड़पै छल
छूआछूत, जातिपात आ साम्प्रदायिकता केँ छल अनल
सत्याग्रह सँ शत्रु के भगा प्रेम सँ कयलनि अग्निशमन।
देशक उर मे बसल रहय छथि ओ महात्मा गांधी अपन।
महात्मा गांधी-2

धन अरजी मुदा अपना पर नहि, जन के वास्ते खरची
आत्मनिर्भर हो गांव गांव, तहि लेल कुटीर उद्योग, चरखी
हिंसा के जे दूर भगौलनि, बढ़ाओल हिंदीक प्रचलन।
देशक उर मे बसल रहय छथि ओ महात्मा गांधी अपन।
महात्मा गांधी-2
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कवि - हेमन्त दास 'हिम'
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Monday 18 May 2020

छन-छनन-छन पायल बाजय / कवि - अजित आज़ाद

गीत

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छन-छनन-छन पायल बाजय
खन-खनन-खन कँगना
ताहि मिथिला मे भोरे-भोर
कोइली बाजय अँगना
गोड़हा-चिपड़ी पाथिककाकी
निपलनि गोसाउनक पीड़ी
माय दुआरि पर चाउर फटकिक'
कयलनि ठांओं-पीढ़ी
मैंयाँ रन्हती छठिक तस्मै
हुनके हिस्सा खड़ना
ताहि मिथिला मे...

मस्जिद मे अज़ान गूँजल त'
काँख लिधुरिया लठाढ़ि
आँचर उड़ियौती नहिरा मे
ससुरा मे लेती नुआ काढ़ि
हाथ हुनर छनिपैर झूमर छनि
आँखि मे सुन्नर सपना
ताहि मिथिला मे...

बैसल नहि भेटती मिथिलानी
बरु कतबो रौद-बरखा
नहि किछुओ तनचौती टकुरी
चलबे करतै चरखा
पढ़ि-लिखिकआइ परदेस मे बेटी
छोड़ा रहल छथि भरना
ताहि मिथिला मे...
....
कवि- अजित आज़ाद
कविक ईमेल आईडी- lekhakajitazad@gmail.com
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Friday 8 May 2020

हमर बुद्ध - कविता और चित्र / चंदना दत्त एवं श्रेयसी दत्त

कविता 

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हमर बुद्ध

कतेक शुद्ध

कियेक एतेक चिन्ता

मगजक शोणित लाल

पसरल विश्व भरिमे

अहींक ज्ञान शांति, अहिंसाक

सब अप्पन कहलक

बनौलक अहांक प्रतिमा

मोटगर पेटवला

हंसैत बुद्धा

आ आइ कना रहल विश्वकें

चिन्ता तऽ जायजे ने

अबियौ हे महात्मा

अवतरण दिवसक शुभकामना.
........
कवयित्री - चंदना दत्त 
कलाचित्र - श्रेयसी दत्त 
कवयित्रीक ईमेल आईडी - duttachandana01@gmail.com
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Sunday 3 May 2020

केकेएम नवम आभासी कवि सम्मेलन सह यात्रा-वृतांत प्रस्तुतिकरण दिनांक 25.4.2020

सेहन्ता लागलै रहल अपन काबिलियत पर

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सबसs पहिले बबली मीरा अपन प्रस्तुति देलथिन्ह।  हुनकर प्रस्तुति देशभक्तिपूर्ण कविता छल जेकर प्रदर्शन अद्भुत रहय-

कविता के बोल छेलै
भारत माँ की हृदय वेदना किससे कहूँ कैसे कहूँ
प्रस्तुति करण के बाद मीरा जी कानs लगलखिन से सबके बुझायल।

ओकर बाद दोसर नंबर पर सुजीत कुमार जे कविता सुनैलखिन ओहि में मुनव्वर राणा जी के कविता के आगू बढ़ेलखिन। बोल रहै -
१) जो भी सुनती है तो हवाएं वो हैरान हुआ जाता है*
और दोसर ग़ज़ल के मतला

२) रात काली है चिरागों को जलाये रखना
सुबह करीब है हिम्मत को बनाए रखना
सुना के भाव विभोर कs देलखिन।

ओकर बाद तेसर नंबर पर .विजय बाबू मंच पर अपन कविता
 के  प्रस्तुति देलखिन।

कविता के बोल रहय-
लॉकडाउन लॉकडाउन में बारह की
बजाय साढ़े बारह हम तत्पर छी
थोड़य हार मानय बला हमहूँ छी

ओकर बाद चतुर्थ कवि के रूप में .बी के कर्ण जी के देशभक्तिक कविता के प्रस्तुति भेल जैह में भारत के खेल के गुणगान और क्षेत्रभक्तिक इक्छा व्यक्त कयल गेल छल। आओर उम्मीद केला की ६ करोड़ के आबादी में १ टा ओलंपिक मैडल चाही।
शीर्षक रहे
मिथिला के लेल १ ओलंपिक मैडल

कविताक बोल छेलै
मोन मुरझाएल अछि अपन व्यक्तित्व पर
सेहन्ता लागलै रहल अपन काबिलियत पर

तखन पंचम कवि के रूप में ज्ञानवर्धन  एक टा कविताक प्रस्तुति कयलथिन्ह जाहिमे देशभक्तिक संग पूरा भारत समाहित छल।

तखन आखिर में  अमन आकाश  अपन यात्रा वृतांत "बस टू पटना" सुनौलथिन्ह जाहिमे एक टा विद्यार्थी बाहर पढ़ै ला पठाबय पर कोन कोन दिक्कत होईछ और माँ बाप के अलावा समाज ओहि बालकक प्रति अपन की चारणा बना लय छै से सब सुनय लेल भेंटल।

एक टा फकरा सुना  अमन आजुक अभिभावकक मोनक दशा के जीवंत कs देलथिन्ह-
फकरा छेलै -
बिगड़ल बेटी बने नर्स
बिगड़ल बेटा पढ़े कॉमर्स

एवम प्रकारे आई ५ टा कविता सुनय ला भेटल और एक टा यात्रा वृत्तांत जे जीवंत,सुंदर,और सामायिक छेलै।

तहि दुआरे हम .बबली मीरा, सुजीत कुमार, .विजय कुमार .बी के कर्ण, ज्ञान वर्धन एवं .अमन आकाश के बहुत बहुत धन्यवाद दै छी। एक बार पुनः हम .विजय बाबू के सफल एवं सुगठित कवि सम्मेलन के मंच संचालन के दुआरे बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद दै छी।

विजय बाबू, .विनय कर्ण, .आशीष  और .बी के कर्ण सs हम विशेषकर क्षमा माइंग रहल छी कि हुनकर हम बस प्रस्तुति करण के सबके समक्ष राखलौं । हम सदस्यगण मे बहुत छोट छी और त अगर हमर समीक्षा में कोनो त्रुटि रैह गेल होय त हमरा क्षमा करब।
........

रपटक लेखक - अभिनव मल्लिक 
प्राप्ति माध्यम - विजय बाबू
प्रतिक्रियाक लेल ईमेल - editorbejodindia@gmail.com



 




Friday 24 April 2020

युवा प्रतिभा: - लॉकडाउन, लॉकडाउन देखै छी / कवि - विजय बाबू

कविता

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हिट स्प्रे करय छी-

लॉकडाउन लॉकडाउन देखय छी
घरे में दिन भरि बंद बैसल छी
भिन-भिन घूमि मच्छर चुटि काटी
तरे हम हरियर हिट स्प्रे करय छी ।

लॉकडाउन के अनुभूति करय छी
डरे सदिखन सोच में पड़ल छी
बाम कात गुनगुनेने, दहिना काटी
कोने कोने हम हिट स्प्रे करय छी ।

लॉकडाउन २१ बाद लॉकडाउन १९
दिने काटई में मशगूल रहय छी
हवा में मच्छर आ भूमि सँ झींगुर
धेने हम लाल हिट स्प्रे करय छी ।

लॉकडाउन बीच जूम झमाबै छी
डिजिटल दुनियाँ पसारि रहल छी
देखि चाल आ आवागमन फेर
बेर बेर हिट सभदिस स्प्रे करय छी 

लॉकडाउन लॉकडाउन में बारह की
बजाय साढ़े बारह हम तत्पर छी
थोड़य हार मानय बला हमहूँ छी
हिट स्प्रे में दिन-राति एक केने छी ।



अठबज्जर कोरोना

जो रे अठबज्जर चिनिया
बपौती के संभाल तू
 रे बज्जरखसौना मुरिमचरुआ
परा एत सँ, आब भाग तू,

कूटि देतौ आब ई दुनिया
रे तत् माइर खेमे तू
जो रे घूमय अप्पन नरक मे 
कोरोना आब बिलेमे तू ।

गिन दिन आब रे बैमंठा
जो अपन गाम के संभाल तू
बिन बजौने आयल मेहमान
बापे घर के कर देखभाल तू
......
.

कवि - विजय बाबू
कविक ईमेल - vijaykumar.scorpio@gmail.com
प्रतिक्रियाक लेल ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com


Wednesday 1 April 2020

मचल अछि हाहाकार / कवयित्री - चंदना दत्त

कोरोना

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मचल अछि हाहाकार
चित्कार ओ प्रतिकार
सांचे बनि गेल विश्व एकटा गाम
सब अपने लेल हरान
काल्हि धरि जे विकासक चकरी घेमि रहल छल
दुनिता बस दौगैत जा रहल छल
थम्हि गेल ओ दौगय के उन्माद कतय धरि हैत विकास
ई विकास वा हैत विनाश
बच्चा अछि टुग्गर आ मायबाप असगर
घर मे औन्हल बासन
आ होटल  रमण चमन
गोर लगय मे अबैत अछि लाज 
चुम्माचाटी सं चलि रहल काज
जं कोरोना सिखोलक प्रणाम
त करैत छी हम एकरे नमस्कार बारंबार
मचल अछि हाहाकार
चित्कार आ हाहाकार.
.....
कवयित्री -चंदना दत्त
कवयित्रीक ईमेल - duttachandana01@gmail.com
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कोरोना विषयक ग़ज़ल आ गीत / शायर - अजीत आज़ाद

कविता

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हाथ खिया गेल साबुन रगड़ैत
टीवी खोलिते डर लगैए
उचटि गेल मोन मोबाइलो सँ
शमशाने सन घर लगैए

आब की करबै कक्का हम
बंद भेल छैक चक्का यौ
लसफ़स-लसफ़स मोन करैए
बनि गेलहुँ मुहतक्का यौ

मुह जाबिक' बड़द भेल छी
पाउज करैत छी मोन दबने
सूतल-सूतल निन्न पड़ायल
उखड़ल बाइसिर पोन दबने

परिथन लगबैत-लगबैत आब
बुझि गेलियै रोटी के भाव
बन्हा गेल अछि गरदनि मे घंटी 
सुतरि गेलनि घरनी के दाव।


गीत 

जिनगी के गाड़ी मे सभ छै सवार
किछुए ओहार मे, छै बाकी उघाड़
देखाउंसे मे बहै छै बाँचल-खुचल रस
कद्दुकस, कद्दुकस, कद्दुकस....

बैठल-बैठारी के भरि थारी भात
काज लेल उताहुल के मारैए लात
मगन अछि बीच बला रंगे-रभस
कद्दुकस, कद्दुकस, कद्दुकस

घर मे ढुका देलक एकटा कोरौना
कहिया ई भागत बज्जर खसौना
घरनी के आगू सभ मरदा बेबस
कद्दुकस, कद्दुकस, कद्दुकस

झड़कल सँ नीक, झंपने रहू मुह
कलेमचे करैत रहू, नै कहियौ ऊँह
साँझ होइत-होइत कहती चाबस
कद्दुकस, कद्दुकस, कद्दुकस.
.......

कवि - अजीत आज़ाद 
कविक ईमेल -  lekhakajitazad@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉगक ईमेल - editorbejodindia@gmail.com

Sunday 23 February 2020

मुम्बई साहित्यिक बैसाड़'क पहिल गोष्ठी.23.2.2020 केँ मुंबईमें सम्पन्न

स्कूल कालेज गेल निखत्तर, ह्वाट्सएप परसै ज्ञान

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इस रपट का हिंदी अनुवाद - यहाँ क्लिक कीजिए



दिनांक 23.2.2020 केँ चर्चगेट (मुम्बई) मे ओवल मैदानक निकट अवस्थित क्रौस मैदान में एकटा मैथिल साहित्यिक बैसाड़'क आयोजन भेल जाहिमे नानाविध प्रकारक रचनापाठ एवं कलाविद्याक प्रदर्शन भेल.संगहि मैथिलीक असुलका गाँव-घरवला टोनक प्रयोग करैत गप्प-शप्प सेहो भेल. अहि अवसर पर मुम्बई केँ कोना-कोना सँ मैथिल सभ जुड़लाह जेना -विरार,भिवंडी, नवी मुम्बई, अणुशक्तिनगर, महालक्ष्मी, मलाड आदि. पूर्णत: अनौपचारिक किंतु अनुशासित माहौलमे अढाई घंटा चलल अहि कार्यक्रमक रूचिपूर्ण संचालन कयलनि कृष्ण कुमार झा एवं अध्यक्षता कयलनि विनोद कुमार झा.

मैथिली अकादमीक पूर्व सदस्य आ पटना विश्वविद्यालयक पूर्व मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो. वीणा कर्णक निधन किछुदिन पूर्व भ गेलै आ ताहि कारणें सभ मैथिल शोकग्रस्त छथि मुदा साँच श्रद्धांजलि दिवंगतक कार्य के आगू बढ़ौला सँ होइछ आ से काज छै मैथिलीक अधिकाधिक प्रचार-प्रसार.

ई मुम्बई मे पहिल बैसार छल, ताहि मुताबिक अत्यधिक सफल आ उत्साहदायी मानल जा सकैत अछि. सोलह टा मैथिली केँ समर्पित रचनाकार  आ कलाकार मिथिला सँ दूर मायानगरी मुम्बई मे अपन संस्कृति कें पुनर्जीवन दैलेल एक बुलावा पर तुरंत उपस्थित भ गेलाह ई कम बात नहि. काव्यपाठ केनिहार मे वरिष्ठ आ नव कें सुंदर समायोजन देखबा में आयल.  सदरे आलम 'गौहर', पंकज झा, प्रो. कृष्णकुमार झा 'अन्वेषक', राजेश राय,  कुणाल ठाकुर,  विनोद सरकार, लक्ष्मण झा एवं कथाकार राजकुमार मिश्र, धर्मेंद्र कुमार झाक संग बेजोड़ इंडिया ब्लॉग, मुम्बई डेस्क केँ दूनू मानद सम्पादक माने हेमन्त दास 'हिम' आ भास्कर झा सेहो सक्रिय रूप से उपस्थित रहलाह. विकास मिश्रा, गौरव झा, अरविंद मिडा आ शांतनु झा सेहो अहिमे सम्मिलित भ कर्यक्रमक शोभा बढ़ौलनि.

मैथिली, अंग्रेजी आ हिंदी पर समान अधिकार राखैवला विद्वान भास्कर झा केँ सर्वसम्मति सँ मुम्बई साहित्यिक बैसाड़क संयोजक बनाओल गेल जाहिसे मैथिलीक प्रचार प्रसार तीव्र गति सँ भ पावै.

विशेष उपस्थिति रहलनि मैथिली हेतु 2018 केँ साहित्य अकादमी पुरस्कार सँ विभूषित सदरे आलम गौहर'क जे हालहि मे निदा फाज़ली'क कविता संग्रह केँ मैथिली अनुवाद "हरायल जकाँ किछु" कय अत्यंत चर्चित भेल छथि.

मुम्बईमे फिल्म अभिनेता-सह-सहायक निर्देशक गौरव झा शहनाईक ध्वनिमे  एकटा मधुर धुन सुनौलन्हि अपन नाक सँ  बजा क आ सभकेँ मंत्रमुग्ध क देलथिन्ह. फिल्म लाइन के प्रतिनिधित्व कुणाल ठाकुर आ अन्य द्वारा सेहो भेल जे अभिनय आ निर्देशनक कार्य करैत फिल्म लाइन मे जुड़ल छथि.

पढल गेल रचनासभमे ओना त श्रृंगारक बाहुल्य देखल गेल तथापि प्रेम आ सद्भावना पर आधारित गम्भीर रचनासभ  सेहो पढ़ल गेल. झलक देखल जाओ-
  
फगुआ केँ निकट अबितहिं पूरा वातावरण श्रृंगार सँ सराबोर भ जायत अछि. प्रो. कृष्ण कु. झा 'अन्वेषक' एकटा नवयौवना परिणीताक प्रेमक पिपासाक झलक प्रस्तुत कयलनि -
जग दुर्लभ नारिक आकर्षण
अधर-सुधा रस पान कराएब।
लाजक बात कहू की साजन!
आएब अंग सँ अंग लगाएब।
काजर धोरल नोरक स्याही
कंत एहेन निर्दय नञ बनियौ।
अन्वेषक आएब फागुनमे
एहि फगुआमे आश पुरबियौ।
           
"चाहे फगुआ आबे आकि कोनो आओर त्योहार / आइ-काल्हि चढ़ल सभकेँ एकहिं खुमार" आ से छै फेसबुक-ट्वीटर-इंस्टाग्राम. कवि कुणाल ठाकुर अहि स्थितिक बड़ सुंदर वर्णन करने छथि-
*फेसबुक के फूस्टिक मे जिनगी भेल जियान 
  स्कूल कालेज गेल निखत्तर, ह्वाट्सएप परसै ज्ञान ।
 *रंग बिरंगक स्माइलीसँ जिनगी भेल बदरंग 
  ओनलाइन केर दुनियामे तैयौ मानव किए मतंग ।
*नवपीढ़ी केर नितदिन बदलय फेसबुक पर फेस 
  सभकिछु देखू फेसबुकियाअल रहल किछो नहि शेष ।
*एतबे नहि, कचर बचर करय ट्विटर इन्स्टाग्राम
  चाय पीबय के समय बचल नहि आराम भेल हराम ।
*चिट्ठी पतरीक कोनो काज नहि, सभ किछु भेल ईमेल ।
  घरक मेल बसथि भनसाघर, इंटरनेट पर फिमेल ।
*बदलि गेल गाम घर आ बदलल नगर आ देस।
  कहय कुणाल सुनू जनतागण चहुँ दिसि ठेसे ठेस ।

कवि राजेश राय सुनौलन्हि एकटा श्रृंगारमे सराबोर वियोग गीत -
सुनियो यौ सजना हमर कनि बात
बीतय अछि राति हम कोना कही
बुझियों यौ प्रीतम हमर जज्बात
बीतय ई राति हम कोना कही।

हेमन्त दास 'हिम' सेहो सभकें मिलिजुलि केँ रहैके आह्वाहन करलथिन्ह - 
बीज बंटैकेर कहियो भलमानुष रोपै नै छै
अलग चाहे हम भा जाई, धरा त होबै नै छै
किएक नहि जीवनक दिवस केँ
प्रेम सँ मिल कय बितायब
मुक्त मन ई मेघ सम अछि
जेम्हर मन हम तेम्हर जायब.

बसात बहला पर पंकज झा केँ ध्यान आबि छन्हि किछु आओर-
सन सन बसात बहय
धक धक करेजा में
लागई पिरितिया के बाण
हाय राम
मोन पड़ल आई हमरा गाम.....

अहि प्रकारें आगूओ समय समय पर मुम्बई के अलग अलग सार्वजनिक स्थल पर ई गोष्ठी आयोजित करबाक निर्णय भेल. एकटा व्हाट्सएप्प ग्रुप सेहो बनाओल गेल मात्र अहि समूहक सदस्यक लेल.

अंत मे धन्यवाद ज्ञापनक पश्चात अध्यक्षक अनुमति सँ सभा समाप्त भेल.
................

रपट निर्माण एवं प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम' / भास्कर झा
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
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नोट - 1. जै प्रतिभागी कविगण केंं पंक्ति अहिमे सम्मिलित नहि अछि कृपया सम्पादक केँ ईमेल पर शीघ्र पठाऊ.
2. सम्पूर्ण चित्रावली अहि रपटक हिंदी संस्करण के साथ "बेजोड़ इंडिया ब्लॉग"'क मुख्य पेज  पर आओत.

Tuesday 11 February 2020

पैर तर सँ माटि घसैक रहल अछि, अपने गुमाने फुच्च...! / प्रकाश चन्द्र

 माय-बाप आओर बाल-बच्चा केँ समर्पित निबंध 

(मुख्य पेज पर जाऊ- https://bejodindia.blogspot.com/ / हर 12 घंटे पर देखैत रहू - FB+ Bejod India)

लेखक  - प्रकाश चन्द्र (ग्राम- सरहद, मधुबनी)

आजुक समय में शिक्षाक हाल, बदहाल अछि। हम-अहाँ पीसि रहल छी आओर पीसा रहल छी। कोनो परिवार सभ सँ अधिक खर्च शिक्षा पर करैत अछि। शिक्षा आब व्यापार भs गेल छैक एवं सोच एकाकी। ओहि लेल हम सब पसीना सुखा रहल छी...?

आब हमहुॅ सभ बड़का - बड़का कॉन्वेन्ट स्कूलमे अपन बाल-बच्चा केँ पढ़ा गौरवान्वित महसूस करैत नहि थाकि रहल छी, अपन पूरा जीवन बाल-बच्चाक खातिर अपन सख -मनोरथ त्यागि, रुख-सुक्ख खाइत, येन-केन प्रकारेण जीवन-यापन मे व्यस्त छी। मुदा किछु अपवाद केँ छोड़ि अधिकांशतः बाल-बच्चा केँ ओहि सँ कोनो फरक नहि पड़ैत छैक।

बेटा -बेटीमे कोनो अंतर नहि, आब बेटा सँ बेसी बेटी सभ आगु बढ़ि रहल छथि - ई बहुत नीक अछि परिवार आओर समाजक लेल। कारण जे जतेक महिला जाग्रत हेतीह ओते अपन समाज आ संस्कृति मजगूत होयत संगहि सामाजिक समस्या सँ छुटकारा भेटत जेना -दहेज प्रथा, अशिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य।

ई कखनि सोचय के लेल बाध्य होमs पड़ैत अछि जखनि बच्चा सँ ई सूनय पड़ैत अछि जे -ई त सब "करैत" छैक, ई अहाँक "जिम्मेवारी" थीक.....। तखन बाल बच्चा केँ जिम्मेवारी की? ओकर पसंद, खान-पान, रहन- सहन , पहिनावा, आचार- विचार एवं व्यवहार सबटा अपन समाज और संस्कृति सँ भिन्न भेल जा रहल अछि। एकटा छोट उदाहरण - :भात-दालि, रोटी तरकारी के पर्याय : वर्गर -पीजा, सैंडविच, चिकेन, फ्राईड राईस भs गेल अछि, घरक व्यंजनक कोनो स्वाद नहि , होटल के सरलो स्वादिष्ट । एहि मानसिकता में बदलाव आवश्यक

एकर कारण हम - अहाँ छी। जनमे सँ बाल -बच्चा के परवरिशमे देखावटी सोच एकर मूल कारण अछि आओर आब ई कहय पड़ैत अछि जे कि - ककर बच्चा की करत? के जनैत अछि? ई कहि पल्ला झाड़ला सँ काज नहिं चलत ?

आजुक परिवेशमे बाल- बच्चा सभ अपन संस्कृति, भाषा, कर्तव्य-बोध, त्याग, समर्पण, सहयोग के बिसरि रहल छथि जे चिंतनीय आ संगहि दुःखद सेहो अछिI भरोसा उठि रहल अछि। समय रहैत नहि चेतब तs एहन उच्च शिक्षा एवं आधुनिक परवरिश केँ कौन औचित्य?

आजुक युवा पीढ़ी आओर माता-पिता सँ ई विनम्र निवेदन अछि जे अपन परिवार, अपन समाज, अपन संस्कृति के समझू आओर खुसहाल जीवन केँआनन्द उठाऊ, सादा जीवन उच्च विचार केँ परिभाषित कs अनुकरण करू। ..............

निबंधकार - प्रकाश चन्द्र
निबंधकारक ईमेल - lebaggo@gmail.com
पता - ग्राम: सरहद, जिला: मधुबनी
प्रतिक्रिया हेतु अहि ब्लॉगक ईमेल - editorbejodindia@gmail.com

लेखकक माता-पिता : श्री आनंद कु. दास उर्फ सरयुग बाबू एवं श्रीमती प्रेमलता देवी, ग्राम- सरहद  (मधुबनी) 

Monday 27 January 2020

मिथिलाक्षर में राष्ट्रगान / कंचन कंठ

भारतक राष्ट्रगान 
कृपया देशक राष्ट्रगान केँ ससम्मान आओर विधि अनुरूपहिं गाओल जाय. धन्यवाद.

(मुख्य पेज पर जाऊ- https://bejodindia.blogspot.com/ / हर 12 घंटे पर देखैत रहू - FB+ Bejod India)

दोसर चित्रमे राष्ट्रगान केँ मिथिलाक्षर मे लिखल पाऊ.
..............
मिथिलाक्षर मे लिपिकार - कंचन कंठ
लिखनिहारक ईमेल - kanchank1092@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com




मिथिलाक्षर में सीताक वर्णन लाल दास कृत रामायण सँ / कंचन कंठ

लालदास कृत रामायणमे सीता

(मुख्य पेज पर जाऊ- https://bejodindia.blogspot.com/ / हर 12 घंटे पर देखैत रहू - FB+ Bejod India)



हमरा अँह कौ नहि किछु भेद
एके थिकहुँ कहै छथि वेद

लीला हेतु चयल दुई देह ।
ब्रह्म अंश दुहु निस्संदेह ।।


जनकधाम मिथिला केर वर्णन

भासमान मिथिलापुरी, रवि सन तेज प्रचण्ड ।
बूझ पड़ अनुपम देश जनि, महिगत स्वर्गक खण्ड ।।

जन्मभूमि नैहर सीतक, जतय स्वयं शिवरूप पिनाक ।
शक्तिपीठ उत्तम स्थान, उग्रभूमि सब भाँति महान ।।
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मूलकवि - महाकवि पंडित लाल दास
मिथिलाक्षर मे लिपिकार - कंचन कंठ
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