Saturday 14 December 2019

मैथिली कवि सम्मेलन मुजफ्फरपुर मे 7.12.2019 केँ सम्पन्न

 हम जरेने छी अंगनामे आसक दिया

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दिनांक 7 दिसंबर 2019 केँ एकटा मैथिली कवि सम्मेलन आयोजित कयल गेल कौटिल्य होटल,मुजफ्फरपुर मे जाहि मे विशाल संख्या मे कवि कवयित्री भाग लेलेन्हि. भाग लेनिहार मे प्रभाष, अजित आजाद, आशीष नीरज,  नवीन नवेन्दु, इन्द्रकांत , सत्यम, पल्लवी सिन्हा, डाॅ. पंकज संग, संजीव सिन्हा आदि शामिल छला.

अपुष्ट जानकारी केँ अनुसार अहिमे उमेश पासवान, मैथिल सदर गौहर, शैलेंद्र मिश्र, अरविंद ठाकुर, मैथिल प्रशांत, दिलीप कु. झा, शंकरदेव झा, पं. कमलेश प्रेमेंद्र, दिगम्बर ठाकुर दिनकर,  अवधेश झा,  मैथिल संजय मिश्रा, हरीश चंद्र हरित, सुनिल झा, आनंद मोहन झा, स्मिता वर्षा झा, फूलेंद्र झा प्रवीण, अमन आकाश, मुनीन्द्र मिश्रा, मुख्तार आलम, दीप नारायण विद्यारथी, नारायण झा आओर अरुण माया सेहो कार्यक्रम मे भाग लेलेन्हि.


पढ़ल  गेल रचना केँ एक झलक नीचाँ मे प्रस्तुत अछि -

कवि-1
हम जरेने छी अंगनामे आसक दिया
अहाँ चान बनि गाममे उतरियौ पिया
आब प्रतीक्षाक घड़ी बद करियौ प्रभु
प्रेम अगनि मे दहकैत धक धक जिया
........

कवि-2
बदैल गेलै जमाना
आब केकरा की कहतै? कोना कहतै?
अप्पन घरमे बाघ जकां अपंग रहतै
.......

कवि-3 / आशीष रंजन-
पत्नी के खुश करनाइ असम्भव छै
फेल भ जाइछै सभ नामी गिरामी
पास होइक मात्र एकटा साधन अछि
बनS पड़त अहाँके अंतर्यामी
इ एना कियेक ओ ओना कियेक देलहुँ
शिकायत के खुलल रहै छै पिटारा
सभकेँ मनमे मुदा इहे चलैछै
मुदा आई हमहुँ रहितौं कुँवारा
.........

कवि-4
ई कोना सरकार भ गेलै
सभ चेहरा बीमार भ गेलै
घरमे बूढ़ माइ बेबस छल
बाप देखू लाचार भ गेलै

कवि-5
ओ भ क पराया सदा अपना रहै छै
ओ हृदय के छै टुकड़ा नहि घर सँ दूर रहै छै

अहि प्रकार सँ एक टा यादगार कवि सम्मेलनक आयोजन सम्पन्न भेल.
................

रपटक प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र - विजय कुमार / साभार -संजीव किंकर
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com














Friday 15 November 2019

*युवा-प्रतिभा* पुछथि बौवा की भेलौ रौ / कवि - विजय बाबू

कविता

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कतेक परती बीघा देखलौं
आरिये- आरि अपने देखलौं
गेलौं शहर जे हम पढ़य वास्ते
गिरैत पड़ैत बस बस्ते ढोलौं
नौकरी प्राइवटमे दिन-राति
घसीटति दिनक रौशनी नै पेलौं
गेल दुनियाँ देखते आँखि सँ दूर
आर अहाँ पूछलौं ई की भेलौ रौ?

उन्नति आनक देखि ऊहापोह मन
मँझदार सँ दूर एक राह पकड़लौं
पड़ाएलौं परदेश बेसी पढ़िक़S
सूद ककरो आब कहाँ लेलौं?
अपनत्व कक्का मामा भैया सभ
बिसरलौं आ पुछै छी - की भेलौ रौ?

पखवाड़ा भरि छुट्टीमे सोचि सभ
बिखरलके समेटब जे भेटल नै कियो
चौथाई दाम एसटीडी देर साँझमें
फ्री रहितो केकरो समय कहाँ पेलौं
चौगामा समाज चारि दिवारमें बस
आर बाबू,अहाँ पूछलौं की भेलौ रौ?
...

कवि - विजय बाबू
कविक ईमेल - vijaykumar.scorpio@gmail.com
प्रतिक्रियाक लेल ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

Monday 11 November 2019

मैथिली लघु समाचार

1. ग्राम- खड़ौआ, मधुबनी मे कर्णगोष्ठीक महिला मंच' क स्थापना 

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गाम-घरक महिलागण अनेक प्रकारक कलाविद्या मे निपुण होइत छथि। हुनकर विद्या मे निखार आवै आ सामाजिक दायित्वक बोध होइ अहि लेल महिला विशेषक संस्था बड़ सहायक होय छैक।

मधुबनी जिलांतर्गत खड़ौआ गाम में मैथिल कर्णगोष्ठी महिला मंच क स्थाापना  कयल गेल। अहि मे खरोवा के पूर्व मुखिया कल्पना दास के एडमिन बनायल गेलेन्हि। अहि अवसर पर रीता देवी, सुनिता दास, चंदना दत्त , जया रानी, मंजू देवी,नबबली देवी भाग लेलीह। ज्ञात हो जे अही गाम सँ मैथिलीक प्रसिद्ध महाकवि लाल दास निकलल छलाह जे अनेक धार्मिक पुस्तकक रचना कयलन्हि।  ईहो ज्ञात हो जे सुनिता दास जे सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था कर्णगोष्ठी महिला ग्रुप के राष्ट्रीय प्रमुख छथि सेहो पं लाल दासक जयंती पर आयोजित कार्यक्रम मे कोलकाता सँ आयल छलीह।

ई जानकारी जया रानी आओर हुनकर पति सुनील कुमार दास सँ प्राप्त भेल।
.....

समाचार - बेजोड़ इंडिया ब्यूरो
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com




Sunday 10 November 2019

देवदूत- एक संसमरण / लेखिका - कंचन कंठ

ओ शीघ्र लेल निर्णय

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मनुख के सामाजिक प्राणी कहल गेल अछि, जे कि शत - प्रतिशत सांच अछि। समाज माने जे ककरो दुख - सुख में संग दै बला व्यक्ति क समूह - कहल जा सकैत छैक। कोनो व्यक्ति धनी वा निर्धन के असगरे गुजारा असंभव अछि। जीवन- यात्रा में  अनेक लोक  भेटैत अछि एक - दोसरा के काज अबैत अछि  किंतु किछु लोक एहेन होइत छथि जिनकर कर्ज लोक उतारय के सोचियो नहि सकत अछि।हमर ई कथा ओहि देवदूत के हमर कृतज्ञता ज्ञापन अछि।

हमर बरकी बेटी के एडमिशन इंजीनियरिंग में मुंबई में भेल छल। तखने संयोगवश हमर पतिदेव के सेहो ट्रांसफर मुंबई भ गेल। हम सभ पहिनो ओतय रहैत छलहुं, एकटा छोटछीन फ्लैट सेहो छल ओतय। त दू- तीन साल एमहर- ओमहर बऊयेला के बाद अपन घर में रहब के पुनः अवसर भेटला सं सभ बड्ड आनन्दित - मुदित रही। घरो मे तावत किछु नव साज-सज्जा करबा लेब, सामान ऐला सं पहिने से सोचलहुं।

निश्चय भेल कि ज्वॉइन केला के बाद दुनु छोटका बच्चा सभके स्कूल ट्रांसफर के बाद मुंबई शिफ्ट करी।ज्वाइनिंग के पंद्रह दिन के भीतर पूना सं सभ समटि कय तखन अगिला महीना शिफ्ट भ जाएब।सैह सोचि पतिदेव ज्वॉइन कय लेल आ हम दुनु बच्चा के अर्द्धवार्षिक परीक्षा के तैयारी कराबय में लागि गेलहुं।एक- दू दिन बाद हिनकर फोन आयल कि अगिला सप्ताह गणपति के छुट्टी रहत आ बच्चा सभ के छुट्टी सेहो अछि त अहां सब आऊ गणपति पूजा सेहो देख लेब आ घरो के बारे में आइडिया द देब। एहिना निश्चय भेल।

17 सितंबर 2012 ओहिना याद अछि हमरा। हम बच्चा सब के स्कूल पठा कय जल्दी - जल्दी काज खतम कय पैकिंग केलहुं। त माय के मोन त बुझले अछि। भेल कि ओह बरकी एते दिन सं होस्टल में अछि आ निज पावैन के दिन में जा रहल छी त कनी खजूर  पिरकिया बना कय नेने चली। त झटपट सब सरंजाम कय खजूर ठोकैत रही त हिनकर फोन आयल। हम पूर्ण आत्मविश्वास सँ हिनका कहलियैन "अहां कनिको चिन्ता जुनि करू हमरा किछु परेशानी नै होयत, हम बच्चा सभ संगे आबि जाएब।"आ हम आब पिरकिया के तरद्दुद में लागि गेलहुं।

किंतु कहबी छैक "मेरे मन कछु और है बिधना के कछु और।" बच्चा सभ आयल, ओकरा सभ के हाथ - मुंह धोया, खायलेल बैसेलहुं कि फोन बाजल। उठेलहुं त ओमहर सं हिनकर मित्र के आवाज छल कि "श्रीमान आई सी यू में छैथ, हुनका हार्ट अटैक ऐलैन्हया ।डाॅक्टर के अनुसार दू घंटा सं बेसी समय नहि अछि। एंजियोप्लास्टी करय परत। जल्दी बाजू की करबाक अछि।" हमरा काटू त खून नै! एखने त केहेन नीक बतियैल रही, कतेक प्लान बनने रही कि जीवन एतेक क्षणभंगुर अछि! आब हम की करू? कतय जाउ?  एहि परदेस मे के अछि हमर! तावते फोन सं फेर आवाज आयल "जल्दी बाजू की करब?"

हम कहुना हिम्मत समटलहुं ,नोर पोछलहुं आ जवाब देल "जे डाॅक्टर के नीक बुझाय,जाहि सौं हिनकर प्राण रक्षा होइन से करू। हम अहां के फुल ऑथॉरिटी दै छी।"ई कहि बच्चा सभ के समझा बुझा,पडोसी के स्थिति बता कय ओतय सं असगरे मुंबई चलि देलहुं। भरि रस्ता सभ देवी देवता के गोहराबैत नोरे- झोरे कहुना बाम्बे हास्पिटल पहुंचलहुं। तावत पतिदेव के सफल एंजियोप्लास्टी भ चुकल छल ओ खतरा सं बाहर किन्तु ऑबजर्वेशन मे छलैथ। हम सभ देवी देवता के हृदय सौं धन्यवाद देलहुं।

दोसर दिन जखन ऑफिस के स्टाफ सभ अयला तं हमरा ओहि इंसान क पता चलल जे हमरा लेल देवदूत बनि ठाढि भेला। ओ छलथि हिनकर सबोर्डिनेट "मि. बाघेला" - जे मात्र चार दिन सं  हिनका संग ऑफिस में कार्यरत छलाह। जखन टी ब्रेक मे तबीयत खराब होमय लगलैन्ह त इसारा सं ई बाघेला जी के बजेलाह त ओ हिनका दु - दु टा एसी चलैत पर घामे- पसीने देखिकय किछु अंदाज लगा लेलैनि। ओ झटपट हिनका लेल एकटा ऑफिशियल लेटर हास्पिटल के नामे तैयार कय बाम्बे हास्पिटल अनबाक निर्णय लेल । ई सबसं नजदीकी हास्पिटल छल।हुनकर ई निर्णय लाइफ सेवियर सिद्ध भेल, हिनकर कंडिशन में। तैं हुनक ई कृत्य ओ उपकार त हम ताउम्र नहि बिसरब। जे भेंट करय आबथि - डाॅक्टर सं ल क मित्र,परिचित - सभ हुनकर त्वरित निर्णय ,कार्य ओ अनुभव के भूरि - भूरि प्रशंसा करथि। हम त अनायास हुनका आगे नतमस्तक छी। ओ आब रिटायर्ड भ अनेकानेक सामाजिक कार्य  में एखनो संलिप्त छथि। ओ अहिना सभ दिन स्वस्थ ओ सानंद रहथु। रक्तदान के लेल हम हुनकहि सौं प्रेरित भेलहुं।  मि. बाघेला अपनेके हम कहियो नहि बिसरब।
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 आलेख:-कंचन कंठ
लेखिकाक ईमेल- kanchank1092@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

Tuesday 5 November 2019

पंडित लालदास जयंती-सह-स्मृति पर्व समारोह, खड़ौआ, झंझारपुर मे मनाओल गेल

रमेश्वर चरित रामायण आओर मैथिली मे अन्य अनेक धार्मिक पुस्तक रचना कयलन्हि

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महाकवि पंडित लाल दास जयंती पूर्वनिर्धारित समय पर दिनांक 3/11/2019 केँ लाल दास उच्च विद्यालय खड़ौआ'क प्रांगण मे  मनावोल गेल

मिथिलांगन मे पँडित चूड़ामणि लाल दासजीक जन्म  मधुबनीक खड़ौआ गामक सुप्रसिद्ध परिवार मे फाल्गुण कृष्ण तृतीया रवि सन् 1856ई मे भेल छल। ई लालदास क नामे प्रसिद्ध भेलाह। हिनक पिता बचकन दासजी भक्त, धर्मात्मा छलाहमाता पिता साहित्यिक लोक छलाह। बालक चूड़ामणि दरवज्जे पर मौलवी सँ पढैत छलाह

कालाँतरमे दरभंगाक महाराज, महाराज रमेश्वर सिह भेलाह। हुनके सानिध्य मे हिनका बहुत रास तीर्थ जेबाक आ पुस्तकालयक पोथीक अध्ययन करबाक  अवसर प्राप्त भेलनि। अठारह गोट ग्रंथक रचना कयलनि  जाहिमे
मिथिला भाषा रमेश्वर चरित रामायण, सावित्री सत्यवान नाटक, स्त्री धर्म शिक्षा, हरितालिका व्रत कथा, सोमवारी कथा बहुत प्रसिद्ध अछि

अखनधरि पाँचगोट ग्रँथ अप्रकाशित अछि। महाराज रमेश्वर सिह हिनक ज्ञानसँ प्रभावित छलाह ,हिनका धौत सम्मान प्रदान कयने छलाह आ कायस्थर्षि कहि सम्बोधित करैत छलाह। 

काव्यकलाक सँग सँग लेखन कलामे कविवर केँ वेश विलक्षणता प्राप्त छलनि। तिरहुताक सँग देवनागरी लिपि
लिखबाक विलक्षण पँक्ति आकटगर वर्ण विन्यास क अवलोकन करैत छलाह।

देवचित्रक निर्माण अति सुन्दर कयलनि। कविवरक अँतिम रचना श्रीमद्भगवद्गीताक मैथिली पद्मानुवाद छलैन्ह।

मिथिला क अमर कथाकार, महाकवि लालदास अग्रहण तृतीया रवि, सन 1928, 65 वर्षक अवस्था मे चिरनिद्रा मे विलीन भ गेलाह

पँडित लाल दास +2, उच्च विद्यालय मे दस वर्ष सँ समस्त परिवारगण एवम् ग्रामीण मिलि पँडित लालदास जयँती सह स्मृति समारोह उत्सव मनबैत छथि। स्मारिकाक प्रकाशन होयत अछि। विशिष्ट विद्वान सबसँ हुनक कीर्ति सुनल जायत अछि। कवि गोष्ठी क आयोजन, मेधावी बालक ,बालिका के पँडित लालदास मेधा सम्मान सँ सम्मानित कयल जाए छन्हि।

नृत्य संध्याक आयोजन होयत अछि। हमर कथा सँग्रह# गँगा स्नान'क विमोचन एहि शुभ अवसर पर भेल छल 2012 मे दू वर्ष सँ विशिष्ट अतिथिक रूपमे कार्यक्रम मे सम्मानित एवम् सम्मिलित होयबाक अवसर भेटल अछि। ओहि महामनीषीक वँशवृक्षक पाँचम पीढीमे हम छी ई हमर सौभाग्य।
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आलेख - चंदना दत्त
लेखिका का ईमेल - duttchandana01@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com



Wednesday 30 October 2019

परदेसमे पावनि / कंचन कंठ

जखनि छठ पूजाक मेलामे गुम गेल बुचिया

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"छठि पावनि लगचियाएल अछि, टिकस के इंतजाम करियौने! गाम नै जेबै, माईं रस्ता देखैत हेथिन्ह कि बऊआ कनिया बच्चा सभ ल क अबैत हैत!" - कहैत प्रश्नवाचक दृष्टिसं अनीता अपन घरवला सुरेशक दिस तकलैन्हि। "नै ये एहि बेरि कहां टिकसक इंतजाम भेल, जे जायब;ओहो चारि -चारि गोटे! एहि सीजनमे मुंबईमे भगवान भेटब सरल; कंफर्म टिकस भेटब मोसकिल!" सुरेश बड्ड दिन भेलै गामसं नौकरीक तलासमे मुंबई अयलाह आ एतहि एकटा प्राइवेट फर्ममे काज करैत छलाह।

"हे भगवान, आब की करब हौ दैब; बच्चा सभ त आस लगौने छल कि छठमे गाम जायब, माईं - बाबासंग खूब मौज करब, कनी नानियो गाम जायब सभ मौसी-मामा सभसंग मेला घुमब"- कहैत-कहैत आंखि नोरा गेलैन्ह अनीताके। 

"यै, ऐना कानैय छी किया, हमरो त इच्छा छल कि पाबनि-तिहार गामे पर मनाबि मुदा अपन कोन सक्क! कोनो सरकार हो, कोनो रेलमंत्री; हमर सभक समस्या जस के तस! कोनो बदलाव नहीं, कोनो सुनवाहि नै। नै अपन घरमे कोनो काज अछि, आ ने परदेसमे कियो दर्द बुझय बला"-बजैत-बजैत सुरेशो कननमुंह भ गेलाह।

"मायके फोन करैत त करेज फाटि रहल अछि मुदा कहि दै छियै जे अहिबेर छठिमे एतहि रहब।" -ई कहि ओ फोन करय चलि गेलाह।दिलके कहुना सम्हारि कय पाबैनक ओरियानमे सभ लागि गेलाह।ओतेक उछाह कतयसं आबय मुदा पाबैनक दिन त घर एहिना नहि छोड़ल जा सकैछ।

छठिक संझुका अरघ, मोन छटपटाय लागल अनीता के,"ओह; की सोचैत हेती सासु कि पुतोहुके बंबईके हावा लागि गेलैन्ह, तें नै अपने एलीह आ नै बेटाके आबय देलखिन्ह! हमर व्यथा के बूझत!" सुरेश जखन बड्ड मनहुस देखलखिन्ह त कहलखिन्ह ; "चलु सब गोटेके जुहू बीच ल चलै छी, हाथ उठतै; त गोर लागि लेब आओर बच्चा सभके  मेलो घुमा देबय त मोन बहटैरय जेतै‌।"

ओ सभ छठि देखय चललाह। रोड पर बड्ड भीड़, कियो कोनिया -दौरा सभ माथे पर उठेने दौड़ल जा रहल छल, जाहिमे विभिन्न समान छलै अरघ पर दै बला‌। त हुनक मराठी ऑटोचालक बाजल,"पता नहि, कौन सा परब है बिहारियों का कि मूली, बैंगन सभ चढ़ाते हैं।" "हौ तों कि बुझब' एहि पाबनिक महातम!"- ओ मोनेमोन बजलाह। बीच पर त लोकक अंते नहि !बुझि परय छल जे समुद्रसं होड़ लागल छै कि के कतेक पैघ! चारू गोटे एकदोसरा के हाथ पकड़ि घुमैत चलल जाइत छलाह। जान पहचान त कियो नहि ,त कतहु ठाढ़ि भ भरल आंखिसौं क्षमा मंगैत गोरि लागि, मां-बाबूक ध्यान करैत आगू बढ़लाह। चलैत-चलैत जखन डेढ़-दू किलोमीटर भ गेल त सोचलाह कि कनि बैसिकय बच्चा सभके "भेल कि पावभाजी" किछु खुआ दैत छी, ओहो सभ प्रसन्न भ जायत।जहां कि पाछां मुड़लाह; त ..... हाय रे दैव! ई कोन कनकिरबी संग लागि गेल! आब कोन उपाय करब? केकर बच्चा अछि, कोना कय की होयत?"

ओहि बचियासं पुछय चाहलैथ त ओ भोकारि पारि कय कानय लागल। ओ दू -तीन सालक जान कतैक जानकारी राखथि कि बुझिते छलैह जे बतबितैन्ह! तखन खायब-पियबके त बाते हवा भ गेल; आब त ओहि बच्चाक मां-बाप लग पहुंचाबय जरुरी बुझना गेल। खैर, सोचलैन्ह जे जाहि रस्ता सं एलहु, ओहि रस्तासं वापस जाय, त कहिं ओकर माता पिता भेटा जाइ!ई सोचैत ओ सभ उनटे पैर आपस चललाह। ओना त बच्चा सभ थाकियो गेल छल मुदा बच्चा के बिछड़ल देखिकय, अपन भूख-थाकब बिसरि बिना कोनो हल्ला-गुल्ला के माता - पिताक संगे चलल जा रहल छलथि। 

अनीता के त होसे गुम भ गेल छल। ओ त बुझबे नहि केलैथ कि कखन ओ बुचिया आंचरक कोर धय एतेक दूर चलि आयल। मोनेमोन राणामाई के ओहि बच्चाकेँ माय-बापसं मिलबै के गोहारि लगा रहल छलीह। एहिना कतेक दूर चलला पर "मम्मी" कहि ओ बुच्ची चिहुंकल! ई सभ ओहि दंपतिक लग गेला त दुनू वैकतिमे खूब घमासान मचल छलैन्ह। घरबला कनियां पर बड्ड खिसियाएल आ कननमुंह भेल कनिया सफाई द रहल छलीह कि हम अरघ दैत रही आ ओ कखन हमर लगसं निकसि गेल नहि बुझलहुं। बेरि-बेरि राणामाई के गोहार लगबैत,सूप , कोनिया, नारियल गछैत जा रहल छलीह कि ई सभ बुच्ची के ल क जुमि गेलैथ।

अपन बेटी के सही-सलामत देखिते दूनू परानी भाव - विभोर भ गेलाह आ जोर जोर से कानय लगलाह कि "हमर सभक कोनो अरजल पुण्य छल वा कि छठी मैया के असिरवाद कि जहिना बुचिया हेरायल, तहिना भेटियो गेल।आजुक जुगमे अहां सभ सन सेहो ऐहेन भलमानुष सभ छथि नहि त हम सभ त आसे छोड़ि देने रही कि आब जिनगीमे कहियो एकरा देखब। आ ऐना सही सलामत भेटनाय, एहि मानव समुद्रमे त अकल्पनीय अछि! कहू जे अहां सभ त भगवाने भय प्रकट भेलहुं हमरा सभ लेल।" ह्यूमन ट्रैफिकिंग आ चाइल्ड एब्यूज के एहि जमानामे त ई बात आठमे अजूबा लागल हुनका सभके।

"हे, हे ऐना नहि हैत; चलू - चलू एतय अपन खेमा लगौने छी, रात्रि हमरेसभसंग बिताऊ, भोरुका अरघक बाद परसाद पाबिये कय जायब। ऐतेक उपकार केलहुं अहां सभ आबत जिनगी भरिके संबंध जुरि गेल, हम ऐना जान नहि छोड़ब। देखियौ एहिबेर गाम नहि जा सकलहुं टिकटक अभाव में त एतही पूजा केलहुं, हमर मां-पिताजी सेहो छथि, हुनके ठाम पर पहुचेबामे ई बुच्ची कोना ससरि गेल से बुझबे नहि कैल!"-ई अहि ओ हुनका सबके घीचने-घीचने अपन टेंटमे ल गेलाह आ सभसौं भेंटि करैलैथ आ सभ घटना बताबय लगलाह।

अनीता आ सुरेश के त बुझेलेन्हि जेना "घर सौं दूर एकटा आर घर" भेटि गेल, बच्चा सभकेँ त खुसीके ठेकाने नहि! ओ सभ त संगी-तुरिया संगे बाबा, दादी सभ पाबि गेलाह। भोरका अरघ संगे देलन्हि सभ गोटे। फेरतय परसाद आ सिनेहक अटूट बंधन खोंईछमे ल क अपन घर बिदा भ जाई गेलाह। एहिबेरुका छठि सभलेल अविस्मरणीय भ गेल। 
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लेखिका - कंचन कंठ
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Thursday 24 October 2019

धनतेरस दिन कंगना / कवि - विजय कुमार

कविता 

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अछि आई दिन धन्वन्तरिक
शुभ-मंगलक दिन धनतेरस
अछि दीपोपंच पर्वक आरंभ
धातु, मेवाक बाजार सजल।

अछि सुन्नर मन भोरे-भिनुसरे
सुन्नर उमंगक दिन धनतेरस
छथि सजना, संगहि घूमि हम
चारू दिस जगमग चमकत

देखि सब हम की की कीनब
भरि दिन लक्ष्मीक धनतेरस
उच्छल तरंग में अछि अंगना
पाबी हम एक सुन्नर गहना।

अछि आजूक दिन हर्ष दुगुना
साफ सुन्नर दिन जे धनतेरस
भेटल खन खनखनाइत कंगना
रौशन जग रहै अखंड अहिना

अछि नै कंगना मात्र ई हमर
भेंट लक्ष्मीक दिन धनतेरस
पंख मोरक सन हर्षित हम
सजल जिनगी भरि ई कंगना।

अछि अंतर्मन सँ सजल मोन
आबै अनगिनत दिन धनतेरस
जीवनक गोलचक्र -साल, महीना
घूमय संगहि खनखन कंगना
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कवि - विजय बाबू
कविक ईमेल - vijaykumar.scorpito@gmail.com
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Wednesday 23 October 2019

गवहा सँक्राति - मिथिलाक पर्व

कुमारि कन्या सँ चिपडी पथेबाक उद्देश्य

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कार्तिक मास उत्तम मास अछि
एहिमे भरिमास आँवला क गाछतर साँझ देखाओल जाईत अछि
अक्षय नवमीक धातृगाछ तर भोजन बनाकय खायल जाईछ
धातृ के सेवनसँ रोगव्याधि नहि होईत अछि।

मिथिला क पावन भूमि पर अनेक पर्व पर्यावरण सँ जुडल अछि। ताहिमे एक अछि गवहा सँक्राति कार्तिक मासक तुला राशिक सँक्राति क मनाओल जाइछ। भोरमे कुमारि कन्या अरिपन ध गायक गोबरसँ चिपडी पथैत छथि ओहिमे सिन्दूर  पिठार लगाय कुम्हरक फूल साटल जाइछ। एहि चिफडीसँ नवान्न दिन गोसाऊनि घर मेअग्नि स्थापन कयल जाइछ आ लक्ष्मी पूजा दिनका सँठी लागाक साँझधरि राखलजाइत अछि ओहि अग्निसँ साँझखन दीप जरायल जाइछ। कुमारि कन्या सँ चिपडी पथेबाक ई उद्देश्य जे जँआगू गृहस्थाश्रम मे ओकरा जारनिक अभावमे चिपडियो पाथय पय, बच्चा क मलमूत्र उठाबय पडै, अपनासँ श्रेष्ठ केँ सेवा करय पडय त कष्ट नहि होय। साँझखन चिन वारसँ ल क आँगन धरि अरिपन पाडल जाइछ।     
                   

ओतय ककबाक अरिपन पडैछ जाहि परपीढी पर सिन्दूर पिठार लागल तामा राखल रहैछ। तामामे धान पान दूबि सुपारी राखल रहैत अछि।
तीन बेर धन धन लक्ष्मी घर जाऊ
दारिद्र्य बहार जाऊ
कहल जाईत अछि
भगवतीक अरिपन सूर्योदय सँ पूर्व मेटा देल जाइछ।

सँगहि ई धारणा अछि जे भगवती गवहा सँक्राति क चास घूमय जाय छथिन्ह आ किसान हुनका सँ प्रार्थना करय छथि जे -
हे लछमिनिया सेर बराबरि
यानी  सब धानक शीश खूब भरल पूरल रहय जाहिसँ सबके घर भरि जाय
....

आलेख - चंदना दत्त
लेखिकाक पता - ग्राम- रांटी, मधुबनी (बिहार)
लेखक का ईमेल - duttchandana01@gmail.com
प्रतिक्रिया ह्तु ईमेल - editorbejodindia@yahooo.com




चंदना दत्त

नमस्कार सब सुधीजन केँ
सूचित करैत हर्ष अछि जे कर्णकुम्भ मे 
अपन गुणक प्रदर्शन करबाक लेल स्टालबुकिंग भ रहल अछि
1बिमला दत्त स्वयं सहायता समूह राँटी
२लोककलाकृति नूतन बाला ,मधुबनी
मिथिला पेन्टिंग 
3 मधुबनी क्राफ्ट्स, लोकहित रँगपीठ सँस्थान ,मधुबनी
4 मिथिला चित्रकला शशिदत्त ,दरभंगा
5मिथिला चित्रकला रुबी कर्ण, दरभंगा
6 रचना सिक्की आर्ट्स, धीरेन्द्र कुमार
7  ज्ञानेंद्र भास्कर
8सुरेश कुमार लाभ 
अल्काइन वाटर आयोनाईजर

आऊ सबगोटे मिलि मिथिला क शान बढाबी
मेहदी,अचार,बडी अदौरी,ठकुआ पिडिकिया ,एप्लीक ,सिलाई आदिक स्टाल बुक कराऊ
कर्णकुम्भ मे डुबकी लगा बहिन भाय 
भेट करय जाऊ
कर्ण विभूतिक सम्मान करय जाऊ
चँदना दत्त



मनुवा नीक तs सब नीक /कवि - विजय कुमार

कविता
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मोन पड़ैये घर माईटक भीत केँ
चार सँ टप टप आ साय साय,
ख़ुशी आ गम सभक एक्कहि
मनुवा उमंगभरि दिन आ राईत ॥

मोन रे, दिन दूना राति चौगुना
बचपन सँ अक्खन धरि सुनि
सुनि बस यैह जाधरि ज़िनगी
सुनि ताधरि आ करि उन्नति ।

मोन कहैया विश्व में चमकैत
सुनी भारतवर्षक उच्छल तरंग,
सूनी दिलकेँ, झांक तू धरा पर
मनुवा शीर्ष पर घूमैत घूमैत

मोन रे, कहै ज़िंदगी रही सुखी
सुखी रहि सकी सभ संग संग
सुखी रहै घाटी-हिम, गंगा, जमुना
मोनक भ्रममे रहय नै कोई सुखी ।

मोन होइये कोना पाबी सुखी
सुख पाबी मान सम्मान देखि
सुखी-संसार चलै चारू दिस
मनुवा सुन्नर चलै देखैत देखैत
....
कवि - विजय बाबू
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Sunday 13 October 2019

बेगलुरू (कर्नाटक) मे विद्यापति पर्व समारोह 19.1.2020 केँ होयत

कर्नाटक मिथिला सांस्कृति परिषद द्वारा तिथि मे परिवर्तन कय 19 जनवरी कयल गेल

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बेंगलुरु. 13.10.2019 / कर्नाटक मिथिला सांस्कृतिक परिषद के कोर कमिटी के मीटिंग आइ बिहार भवन में सम्पन्न भेल। मीटिंग में आगामी होब वला विद्यापति पर्व समारोह के बारे में विस्तृत विचार विमर्श भेल। मीटिंग में भेल किछ महत्वपूर्ण निर्णय के विवरण नीचा द रहल छी।

1.जेना कि पहिले स विद्यापति पर्व समारोहक तिथि 12 जनवरी तय भेल रहै मुदा 12 जनवरी क पैलेस ग्राउंड के अनुपलब्धता के चलते ई निर्णय लेल गेल कि कार्यक्रम के एक सप्ताह केँ लेल आगू बढ़ाएल जाए। सभ गोटे सर्वसम्मति सँ 19 जनवरी 2020 पर अपन सहमति देलेन्हि।

2. कार्यकारी समिति के महासचिव पद के लेल  श्री आर के सिंह के नाम के प्रस्ताव भेल आ सभ गोटे सर्वसम्मति सँ अहि प्रस्ताव के पारित कयलन्हि। हाँ सभकेँ जनतब हैत कि किछु दिन स इ पद खाली छल। महासचिव के अलावा किछु फाउंडर मेंबर सब सेहो संस्था स जुड़लाह। जूड़ वला नव फाउंडर मेंबर्स  में श्री अजय कर्ण , श्री बीरेंद्र झा, श्री आशीष मिश्रा, पालन झा, श्री कुंवर जी आ श्री विजय  कुमार जी  शामिल छैथ। नब निर्वाचित महासचिव आ सब नब फाउंडर मेंबर्स  के बहुत बहुत शुभकामना।

3.मीटिंग में जयमहल पैलेस में  22 तारीख'क भेल पिछला कार्यक्रम के आय-व्ययक ब्योरा गोविंद द्वारा प्रस्तुत कएल गेल। 

4. कर्नाटक मिथिला सांस्कृतिक परिषद  के वेबसाइट के रूपरेखा पर सेहो चर्चा भेल आ श्री अजय कर्ण जी वेबसाइट निर्माण के जिम्मेदारी स्वीकार केलैन। अजय  के अहि लेल बहुत बहुत साधुवाद। वेबसाइट निर्माण मे  गिरीश, दीपक  आ विजय, अजय के सहयोग करताह। सब गोटा के अहि वास्ते बहुत बहुत धन्यवाद।

4. वेबसाइट निर्माण कें बाद वेबसाइट के थ्रू हर महीना 2 टा विद्यार्थी के चुनाव कर के आ हुनका सबके 1 हजार पारितोषिक अपना दिस स देब के प्रस्ताव ग्रुप के सदस्य विनोद चौधरी जी रखलाह। अहि पर विस्तृत चर्चा  वेबसाइट निर्माणक बाद होयत।

5. आगामी विद्यापति समारोह के लेल ग्रुप के मुख्य संयोजक प्रजेश झा द्वारा बनावल गेल किछु महत्वपूर्ण कमिटी में जुड़S वास्ते किछु नव लोक अपन अभिरूचि आ सहमति देलैन। ऊ सूची प्रजेश जी के प्रेषित क देल जेतेन्हि।

6. विद्यापति पर्व समारोह में होब वला खर्च आ फण्ड जेनेरेट कर के वास्ते सेहो गहन चर्चा भेल आ ओहि में स्पॉन्सरशिप के अलावा टिकटक विभिन्न कैटेगरी के बारे में सेहो प्रस्ताव राखल गेल जाहि पर अंतिम निर्णय अगिला मीटिंग में लेल जायत।
......
सूचना स्रोत - विजय कुमार
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Tuesday 8 October 2019

फेर खूब भेलौ जे रावण दहन / कवि - विजय कुमार

                                          दशहरा पर कविता

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अयोध्या नगरी देखि तू
ठानिकS घमंडमे चूर-चूर
रामजीके सौम्यभाव संग
लड़िकS तू भेलएँ चूर-चूर ।

निड्डर छलएँ सेहो मुदा
अहंकारी रहएँ की कम तू ?
लंका संग दशानन मुख
जरलौ खूब जो रे रावण ॥

रामजीक संग बानर सेना
आ तरकश सँ तीर निशाना
समुद्रपार दूर तोहर लंका
रामसेतु सँ दूर नै रहलौ,रावण ।

सीताजीक वृक्षक तलमे
चाल छलौ तोहर अलबेला
तत्पर हरदम हनुमान तहिना
छलमन जरलौ जो रे रावण ॥

लक्ष्मण संग सेहो सदिखन
बूटीक लेल पर्वत हाथेपर,
आनिलथि जे हनुमान सेना
सब देखलएँ तू रे लंकापति ।

गुरु विश्वामित्र शिष्य देखि
गुरूर तोहर खूब जे टुटलौ,
राम-लक्ष्मण के रीति देखि
जरूर जर तू जो रे रावण ॥

रावण जर तू फेर एक बेर
असुर मोन पड़बएँ जखने तू
जगमे सुखी सब देर-सेवर
कहि हम सब जो रे रावण ।

विजयादशमीक रामलीलामे
फेर खूब भेलौ जे रावण दहन
अदृश्य रावण जँ मरय संगहि
नव सूरज सँ मरि जो रे रावण ॥
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कवि - विजय बाबू
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Tuesday 1 October 2019

हे माँ जगत जननी दुर्गे देवी / कवि - विजय बाबू

जय माँ भगवती

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मिथिला चित्रकला - बिमला दत्त

हे माँ जगत जननी दुर्गे देवी
अहाँक शक्तिमे हमर भक्ति
अहाँकक असीम कृपा सँ रहै सृष्टि
अहाँकक अनुकंपा सँ करि अनुभूति
अहाँक नमस्कार बारंबार नमस्कार अछि।

हे सप्तश्लोकी नवरात्र विराजे मैया
अहाँक़ रूप अनेक, श्रद्धा हमर एक
अहाँक सोझा देवता सिर झुकावथि
अहाँक सम्मानमे अप्सरागण नाचथि गावथि
अहाँक नमस्कार बारंबार नमस्कार अछि।

हे माँ नौ नाउसँ प्रसिद्ध जगदंबिके
अहाँक बत्तीस रूपमे रचल संसार पूर्ण
अहाँक विशाल ललाटमे पसरल रौद्ररूप
अहाँक चरणतल जे झुकल सभ असुरदल
अहाँक नमस्कार बारंबार नमस्कार अछि ।

हे सृष्टिके पालनहारी दुर्गा माँ
अहाँक पृथक रूप आ त्रिशूलक धार
अहाँक हँ उच्चाटन तीनू लोकक पार
करी हम अहाँक मान, रखने छी बस यैह अरमान
अहाँक नमस्कार बारंबार नमस्कार अछि।

हे जग दुःखहारिणी दुर्गा मैया
अहाँक आराधना करी नित्य हम
अहाँक पूजा करी बिनु विधि बूझने हम
हम बालक के त्रुटि क्षमा करियौ माँ
अहाँक नमस्कार बारंबार नमस्कार अछि।
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कवि - विजय बाबु
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Thursday 26 September 2019

समय-चक्र आ फिकिरक दुहूकमे / कवि - विजय कुमार

समय-चक्र आ फिकिरक दुहूकमे

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समय अहाँ आबै छी समय सँ 
मुदा समय सँ चलियो जाई छी
समय अहाँक शिकारमे हम, आ
ब्योंत में सदिखन अहाँ रहै छी।

अहाँक सोझा आबि बूझि नै
जानी नहि हम की की पबै छी?
कतेक कुंठा सेहो गड़ल अछि
बीत सँ अहाँ दहाड़ि रहल छी

समय अहाँक अकल्पनीय परिधिमे
सब संगहि चलय, प्रयासमे छी
अहाँक राह बिनु रोड़ा, हमरा सँ जुदा
संगहि लेल झटकारि रहल छी।

मोनक कोन में दर्द एक शूल सन
हँसि दैत छी तैयो बसंतक फूल सन
काल-कालक मध्यक अंतरालमे
उमंग स्वाधीनता सँ पाबि रहल छी

समय अहाँक़ अद्वीतिय चालमे
हम बालक उम्मीद केँ सटने रहै छी 
देखू, अहि चालमे कोनो चाल चलू नै
हम शिष्ट बनि संग चलि रहल छी।
....
कवि - विजय बाबू
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Wednesday 11 September 2019

युवा प्रतिभा - विजय बाबु / शुभ भिनसर आ गुरु

श्री विजय बाबु मैथिलीमे कविता लिखबाक प्रयास कयलन्हि अछि. हिनकर मैथिलीक प्रति अनुराग केँ प्रोत्साहन देबा लेल हुनकर दू टा कविता प्रस्तुत अछि- 

 शुभ भिनसर

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अगणित अनुपम स्वागत भोरे भोरे
जीवनक चक्र चलय भोरे अनहारे
परमात्मक असीम कृपा बरसय
मनमस्त सूरजक लाली सँ प्रभात ।

मात-पिताक केर आशीर्वाद पाबि
संगहि पैघक आ गुरुक आशीर्वाद
भारतवर्ष केँ हजार सालक परम्परा
स्नान-ध्यान संग करि सूर्य नमस्कार 

छल जे दीवालीक प्रातः केँ सुप्रभात
जन्म भेल हमर जगमग रात्रि उपरांत
हरियाली बगिया में फ़ूल जे खीलल
उमंग पटना सन शहर संग गामे गाम ।

बसलौं संजुक्त परिवार संग भोरे भोरे
देखलौं गरीब गामक भिन्सर द्वारे-द्वार
रहलौं महरूम अपने परिवार के देखि
देखि शहर के भिनसर बस अपने द्वार 

बेफिक्र घूमलौं माइटे-माइट नै चप्पल
खेतक आड़ि दिस टोली भोरे-भिनसरे
दर्शन आड़ि के बदला जे सड़कक लेन
देखू कतय छी पेट खातिर भोरे भोरे ।

कखनो भेल भिनसर सँ पहिले भोर आ
कखनो भेल सूरजक किरनक उपरांत
सभ भिनसर केँ दर्पण में नित अर्पण
करि हम शुरू प्रसन्न मन अप्पन काम 
...

गुरु 

माता-पिता संग विद्यमान छथि गुरु
पल-२ डगर-२ उपस्थित छथि गुरू
मनुष्यता के लेप सँ ढाँचा बनबैत
सदैव अक्षुण्ण छथि जे हमर, ओ गुरू ।

पोथी हाथमे मुदा शब्द जुबान पर
शिक्षा के डिग्री सँ दूर हुनर जोर पर
उमंग मास्साबक, तरंग कम ने शिष्यक
छलाह एक सौं एक बढिकS ओ गुरू 

जीवनक सफरमे साम्य केँ भावमे
उत्कृष्ट सदभाव,  प्रेमक परिसीमामे,
चटकन सँ सटकन केँ मधुर यादिमे,
शब्द-२ रहत समेटल मनमे यौ गुरु ।

तेल-पानि मिलन नै, घड़ा चाहे भरल
गुरु-शिष्यक मिलान नै, बस शीश झुकल,
रहब नतमस्तक चाहे जहाँमे जतय रहब
कोटि-२ नमन छथि अटल हमर ओ गुरु 
...

कवि - विजय बाबू
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