Tuesday 27 August 2019

सखी - बहिनपा स्थापना-दिवस (24 अगस्त) के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम बेलापुर (नवी मुम्बई) मे 25.8.2019 केँ भेल / कंचन कंठ

सामाजिक कुरीति केँ विरोध करितहुँ अप्पन संस्कृति सँ अत्यधिक लगाव अछि मिथिलानीक पहचान

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सखी - बहिनपा स्थापना-दिवस 24 अगस्त कऽ दुनिया भरिमे जगह-जगह मनाओल गेल। मुदा हमसभ 25  अगस्त कऽ मनेलहुँ। मुंबई में कृष्णाष्टमी द्वारे जगह- जगह दही -हांडी आ गोपालकाळा क कारणे यातायात बाधित भ  जाइत अछि तें रवि दिन मनाओल गेल, तकर विशेषता रहल कि मुंबई जेहन महानगरमे ई "मिथिलानी द्वारा कयल गेल साइत पहिल प्रोग्राम छल, जेकर कल्पना, संयोजन आ आयोजन मात्र हम सभ सखी बहिना मिल कय केलहुँ।"

कहबियो छैक " कौन कहता है आसमां में सूराख नही होता;एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।" सच्चे जे सुनलैथ से भूरि -भूरि प्रशंसा कय यथा संभव सहयोग दैलेन्हि। हम सभ एहि कार्यक्रम के पहिलुका कार्यक्रम सभ सनक किछु मुद्दा आधारित बनेलहुँ जाहिमे सामाजिक कुरीति केँ विरोध तऽ करबाक छल मुदा अन्यान्य बात सभ पर सेहो ध्यानाकर्षित केलहुँ। 

कार्यक्रमक रूपरेखा:-
1) भगवती गीत-    समूह में
2) गणेश वंदना(नृत्य)-  शुचि
3) भगवती गीत-  श्रुति ओ साथी पाठक
4) सखी बहिनपा समूह क परिचय
5) स्वागत गान-  समूह में
6) अतिथिगणक  सम्मान
7) मुख्य अतिथि (विभारानी एवं हेमंत कुमार 'हिम') के दू शब्द
8) एकल गीत-    नेहा मिश्रा
9) कविता पाठ -   संध्या मिश्रा
10) एकल गीत-प्रियंका मिला
11) जट-जटिन नृत्य- श्रुति ओ आलोक पाठक
12) कविता पाठ- प्रियंका मिश्रा
13) नाटिका -दुलरी दिया केँ अंतर्गत मिथिलामे स्त्री जीवनक विभिन्न आयाम:
- सोहर
-चैतन्य आ शुचि केँ नाटक
-लघुकथा- कंचन कंठ
-स्वयंवर- सुलेखा दास
-जयमाल गीत-श्रीमती मालती दास
डहकन,गारि,कन्यादान, सिंदूरदान, समदाउनक गीत
15)व्यंग्य -    नीलम
16)एकल गीत -  रजनीरंजन
17)चौमासा  -   प्रेमलता झा
18) एकल गीत -  आशा पाठक
19)धन्यवादज्ञापन -   प्रियंका मिश्रा
20धन्यवादसहित चलचित्र /प्रेमक बसात केँ विश्लेषण - संध्या मिला
कार्यभार-

मंच संचालन- प्रियंका मिश्रा ओ संध्या मिश्रा
अरिपन-मधुप्रकाश
अतिथि के पुछाइर-कंचन कंठ ओ आशा पाठक
दीपक सज्जा- जया रानी आओर रजनी रंजन
खोंइछ- नीलम लाल व सुषमा मिश्रा
नाटिकामे गायन-सुलेखा दास,सुषमा मिश्रा, रजनी रंजन,आशा पाठक, मधुप्रकाश,कंचन कंठ, मालती दास , प्रियंका ओ संध्या मिश्रा।

उफ्फ्फ!
तकर बाद सखी सभ स्टौल लगौने छलथिन्ह 
1)भोजनक- पलकिया, नमकीन टिकड़ी, समोसा,कचरी,फ्रैं की, ग्रीन टी-नीलम लाल ओ लिट्टी- चटनी- कंचन कंठ
2)पोथी- पंडित महाकवि लालदासक सभ कृति(जयारानी)
3)पोथी- डा नित्यानंद लाल दासक अनुदित कृति सभ (प्रज्जवलित प्रज्ञा,अग्नि के पाँखि,मैथिली तिरूक्कुरल,राधाकृष्ण चौधरी,नैका बनिजारा,मैथिली भारतीय संविधान,
चंदना दत्तक- गंगा-स्नान
विभारानी दी -खोह सौं निकसइत ओ प्रसिद्ध कृति- क्योंकि जिद है जाकर रायल्टी ओ कैंसर चैरिटीमे दैर छथि,मिथिलाक्षरक पोथी सभ
4) हैंड एम्ब्रायडरी स्टाल- ऑर्गेनिक मिथिला पेंटेडज्वैलरी,प र्स (नूतनबाला), पिलोकवर्स, एप्लीकवर्क बेडशीट (मालती दास), सिंधी कढ़ाईक बेडशीट, साड़ी ,ब्लाउज पीस ओ सिंधी- मिथिलाक्षर के कढ़ाई कुर्ती पर जे  एखन हमर ग्रुप पर धूम मचा रहल अछि (कंचन कंठ)
5)एप्लीक वर्क बेडशीट टेबलक्लाॅथ- (रंभा झा)

एतेक पूरा हमर सभक  छोटछीन कार्यक्रम आ ओहि में सब सखीक अतुलनीय योगदान बिसरल नहि जा सकैछ। कनि-मनी हेरफेर आ गड़बड़ी केर संग हमर सभक रंगारंग कार्यक्रम उल्लेखनीय रूप सौं आनन्दमय रहल।

विभा दी के कथन एकदम सटीक छलन्हि कि "स्त्री के तऽ जन्मे अवरोध-विघ्न-बाधा सौं दू - चारि होइत प्रारंभ होइत अछि तऽ ई सब कोनो विशेष गप नहि।" ओ एतेक दूर सौं कष्ट  उठाकय एलीह तऽ कृतार्थ भऽ गेलहुँ आ हुनक प्रसिद्ध " डहकन"- मोनक साध पूरा गेलैन्ह सभ के।

दीप प्रज्जवलन केलैन्हि क्रमश: मालती दास विभारानी दी, आशा झा, विद्या सखीक मां।

हेमंतजी के उद्बोधन से प्रेरणास्पद रहल। ओ कहलाह जे मैथिलीक असली विद्वान ओहिमे पीएचडी केन्हिहार नहि बरु गाम पर रहैवाली ओ बूढ़ मिथिलानी छथि जे अनपढ़ या कम पढ़ल लिखल भेलाक बादो हर वाक्य मे दू टा सटीक फकरा जड़ि दैत छथि

संपूर्ण विश्व केँ जलवायुमे हानिकारक परिवर्तन देखैत अतिथिगणक सम्मान पाग-दोपटा के स्थान पर वृक्षारोपणक महत्व पर ध्यानाकर्षित करै के लेल एकटा के गुलाब आ गुलाबक पौधा प्रदान कैल गेल क्रमशः विभा दी, हेमंत 'हिम', रूपक शरर ओ  हुनक गायिका  पत्नी सारिका कुमार केँ वरीय सखी सभ द्वारा।

मिथिलाक्षरक प्रचार-प्रसारक महत्वपूर्ण कार्यमे योगदानक लेल निर्देशिकाक रूपमे प्रेमलता झा, माला झा, शैव्या मिश्रा केँ, प्रशिक्षिकाक रूपमे कल्पना मधुकर आ प्रवीणता प्राप्त करैलेल कंचन कंठ, रजनी रंजन आदि सम्मानित भेलीह ।

विशेष बधाईक पात्र छथि नीलम दीदी सखी जे हमर सभक यथासमय मार्गदर्शन करैत , हँसैत,फोटोग्राफी कऽ मधुर याद जमाकय राखयमे मदद करैत छथि आ मनोमालिन्य सौं कोसों दूर रहि हमरा सभमे प्राणवायु क काज करैत छथि (ई बटरिंग अछि फूड स्टाल सौं डिस्काउंट क उम्मीद मे ) 

मुक्ति सखी मुंबई आबिकय बच्चाक अस्वस्थताक कारणे नहि आबि पेलीह, हुनकर हृदयतल सौं आभार आ बौआ के शीघ्र स्वास्थ्यलाभक कामना अछि। जल्दिये भेंट होयत तकर आशा सेहो अछि।

कमाल तऽ केलैन्हि नन्हकी सखी नेहा मिश्रा सखी- जे पैर में चोट क बावजूद ओ डाक्टरके सलाहक बावजूद ऐतेक दूर सौं एबे नै केलीह "पिरीय पराननाथ" गाबि आनंद के चार हजार गुना बढ़ा देलैन्हि।

पूरा दौड़-भाग, इंतजाम बातक श्रेय वकील सखी प्रियंका ओ नीलम लाल के छन्हि। सक्रिय योगदान देबासौं असमर्थ रहितो यथासंभव मदति केनिहार संध्या ओ कंचन सखी के बधाई। ऐना कऽ कऽ एकटा मधुर यादक संगे तेल-सिनुर आ खोईंछ अपन श्रेष्ठा सखी सौं लऽ सभ गोटे मुँह में पान चिबबइत विदा भऽ गेलहुँ।

नोटपैड तक हाथ ठाढ़ कऽ देलक लेकिन लिखय लगै छी तऽ कि लिखू, कि छोड़ू से नहि बुझाइ अछि तैं गलती-सलती धियान नहि देब। आखिर साल भरिक नेना सौं कतेक अपेक्षा करब!

धन्यवाद सखी-बहिनपा ग्रुप के ओ धन्यवाद आरती सखी। हम सब अहिना फलफूली ओ गबैत रही "हम एक छी सखी -बहिनपा।" 
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आलेख - कंचन कंठ
छायाचित्र - सखी बहिनपा समूह
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com














 
 












Thursday 22 August 2019

लाल दास - मैथिली साहित्यक इतिहासमे एक अविस्मरणीय विभूति

महाकवि लाल दासक सम्पूर्ण कृति दू खण्ड मे प्रकाशित होयत

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मिथिला रामायणक रचयिता महकवि पं. लाल दासक मैथिली साहित्य में विशेश स्थान छैक कारण जे हिनकर लीखल रामायणमे सर्वोच्चता रामक बजाय शक्ति केँ देखाओल गेल अछि. भगवान राम त पूज्य छथिये बरु हुनको अपन काज करैलेल जेकर परम आवश्यकता होइत अछि ओ छथि शक्ति. कहल जाईछ जे मिथिला समाज कोनो समयमे मातृसत्तात्मक समाज छलै आ तकरे अवशेष अखनिधरि देखबामे आबै छै जे एकटा मैथिलक मुँह सँ "भगवत्तीक कृपा बनल रहय" बेसी व्यवहार होयत देखब. अहि परम्पराक निर्वाह  मात्र बुझनाई महाकवि लाल दासक कृतिक सही मूल्यांकण नहीं होयत. १८५६ ई. मे जनम लय १९२१ ई. मे अहि नश्वर शरीरक त्याग कय अपन अमर काव्यमे अवतरित भेन्हिहार पंडित लाल दास जीक शक्तिक दीस विशेश प्रवृतिक गहन प्रतीकात्मक महत्व सेहो छैक.

ई परम विडम्बना नहि त आओर की जे मिथिलाक विभूति पं लाल दासक सबसँ महत्वपूर्ण कृति मिथिला रामायणक प्रकाशन हुनकर मृत्युक तीस वर्षक उपरान्त १९५४ ई. मे भेल? ओना त हुनकर अठारह टा कृति मे सँ अधिकांश हुनकर जीवनकाल मे प्रकाशित भ गेल छलै कारण जे ओ सदखनि परम तांत्रिक आ धर्मनिष्ठ दरभंगा महाराज रमेश्वर सिंह के संगहि हुनकर छत्रछायामे रहलाह तेँ हुनका आर्थिक अभाव नहि रहलन्हि. मुदा अहि प्रखर रचनाकारक देहान्त भेला पर आ दरभंगा महाराजक अकूत सम्पत्तिक सरकार द्वारा अधिगृहीत करलाक बाद हुनको परिवार के आर्थिक कठिनाई सहS  पड़लनि. तहू सँ बड़का गप्प जे महाकवि लाल दासक वंशजमे आई धरि (जखनि कि हुनकर छड़पोता श्री सुनील कुमार दास हुनकर रचनावलिक पुनर्प्रकाशनक अभियानमे लागल छथि) कियो स्वयँ साहित्यकार नहि भ सकलाह. श्री सुनील कुमार दास ओना तँ राष्ट्रीयकृत बैंक में उच्च अधिकारी छथि मुदा ओ अपन सम्पूर्ण जीवन केँ २०१० ई. सँ अपन छड़बाबा (परपितामहक पिता) पं लाल दासक कृति केँ पुनर्प्रकाशन करैमे लागल छथि. किछु केँ करा सकलाहये आ किछु मे साहित्य अकादमीक सहयोग सेहो प्राप्त भेलन्हि अछि. 

जे पुस्तकक प्रकाशन आई सँ सौ वर्ष पहिने पं लाल दास जीक कालमे भेल छलै ओहो आब कतहु उपलब्ध नहि छैक आ अन्य अनेक अप्रकाशित कृति सेहो बाँचल अछि. श्री सुनील जी केँ किछु स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या भ गेल छलन्हि तहिया त ओ २०१० ई. मे बिहार सँ मुम्बई स्थानानतरित भ गेला. तखन हुनका  ई अंतर्दृष्टि भेलन्हि जे हम अप्पन पूर्वजके नहि वरन पूर्ण मीथिला समाजक अमूल्य धरोहरक लुप्त होब दयमे चुपचाप रहि सहयोग नहि देब आ स्वयँ लाल दासक सम्पूर्ण रचनावली केँ दू खण्ड - 1. पद्य खंड आ 2. गद्य खण्ड में प्रकाशित करायब. पद्य खंड त प्रकाशनक लेल द देल गेल अछि. सम्पूर्ण मिथिला समाज अहि सुकाजक लेल हुनकर ऋणी रहतन्हि. इति शुभम्!

(ई आलेख दिनांक १८.८.२०१९ केँ श्री सुनील कु. दासक निवास पर हेमन्त दास 'हिम' 'क वार्ता पर आधारित थीक.)
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आलेख - हेमन्त दास 'हिम'
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - e3ditorbejodindia@yahoo.com






























Sunday 18 August 2019

कर्पूरी देवी - मिथिला चित्रकला केँ विश्व तक पहँचबैमे योगदान दैबाली चित्रकार (पुण्य तिथि - 30.7.2019)

शत शत नमन कर्पूरी दादी 

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बौआ एहि अवडेरल धीया पूता के मनसँ पढाएब त खूब नाम जश भेटत। सुहागवती रहू सिउथे कोइखे भरल रहू।
एतेक नीक नीक शिक्षा आशीष देबय वाली मौसी दाय (कर्पूरी दादी) शानदार जीवन बीता इहलोकक यात्रा पर चलि गेलीह 30 जुलाई 2019 क।

मिथिला चित्रकलाके विश्वस्तर पर पहुंचाबयमे हितकर बहुत योगदान  छलनि। मधुबनीके परौल गामवासी कर्पूरी देवी कर विवाह रान्टी कर शिक्षक श्यामकांत दास सँ भेल छलनि। मिथिलाक आने बेटी जँका इहो माय सँ अरिपन सुजनी  कुरूस कांटाक लूरि सीख क आयल छलीह।

1934क भूकम्पग्रस्त मिथिलाक फोटो लेबाक क्रम मे जिलाधीश डब्लू जी आर्चर साहेब अपना देशमे पठेलक त खसल देवाल परहक भित्ति चित्र के देखि मिथिला के चित्रकला के  धूम मचि गेल छल। आ मिथिला चित्रकला के प्रोत्साहन के लेल कागज पर उतारबाक लेल परदा  छोडि बाहर जाय वाली महिला सभमे एक छलीह।

हमरो सबके चित्रकलालेल प्रोत्साहित करय वाली दादी जापान सहित फ्रांस अमेरिका जाए अपन कलाकेँ खुट्टा गारय एलखिन्ह।
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आलेख - चन्दना दत्त
लेखिकाक ईमेल - duttchandana01@gmail.com
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