Sunday 18 August 2019

सिद्धांतक परिपाटी / कंचन कंठ

 सिद्धांत - मैथिल समाज मे विवाह हेतु सहमतिक घोषणा
 सात पुश्त तक वंशावलीक आधार पर विवाहक अधिकार जाँचक पश्चात

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सिद्धांत:एक परिपाटी अछि कर्ण कायस्थ में। कर्ण कायस्थक महत्वपूर्ण भाग मे जखन विवाह तय होईत छैक;तऽ ओ पूर्णतः दहेज रहित होईत छैक। जतय संपूर्ण देश दहेजक विभिषिका सौं त्रस्त अछि ओतय कर्ण समाज अपन एहि व्यवस्था के अक्षुण्ण रखने अछि। 

एहि समाज में संतान के लगभग समाने अवसर भेटेय छैन्हि परिवार मे। विवाहक लेल जेना आन समाजमे खरीदफरोख्त के दौर चलैत अछि ताहि के अहिठाम निंदनीय आ कुकृत्य बुझना जाई  छैक। एतय लड़कीवला ओ लड़कावला केँ खर्च लगभग समान होईत छैक।

एकर अतिरिक्त 'कथा' सुनिश्चित भेला सँ  पहिने पंजिकार वर ओ कान्या के पितृपक्ष ओ मातृपक्ष दुनू के यदि रक्तसंबंध कतहु नहि  रहल त पंजीकार अपन अनुमति दैत छथि - ई भेल एकर वैज्ञानिक पक्ष! जाहि पर कि आब वैज्ञानिक सब शोध कऽ रहल छथि जेनेटिक साइंस में आ प्रमाणित कयल कि ऐहेन विवाह स्वास्थ्यक दृष्टिकोण सँ अति उत्तम होइत अछि।

तखन दुनू  पक्ष एक टा नीक दिन ताकि ओहि दिन कन्या आ वरके सिद्धांतक निर्णय लैत छैथि। एहि प्रक्रिया में वर-कन्या के प्रत्यक्ष  रहबाक कोनो काज नहि होईत अछि। किंतु श्रेष्ठजन आ पंजीकारक उपस्थिति में दुनू पक्ष क लोक कोनो देवस्थान वा आनो सार्वजानिकस्थल पर जमा भऽ कऽ अपन -अपन प्रतिनिधि केँ पारंपरिक परिधान धोती -कुर्ता,पाग -दोपटा सौं सज्ज कऽ अनैत छैथ। मातृपक्ष सौं पाँच आ पितृपक्ष सौं सात पीढ़ी के रक्त संबंध नहि भेला पर पंजीकार विवाह अधिकार दैत छथिन्ह।

भगवती लग धूप-दीप देखा श्रेष्ठ परिजन समाजक पुरूष वर्ग सुवर्णामे आमक पल्लव  संग डाला लय पान-सुपारी मसाला संग निर्धारित स्थल पर विदा होयत छथि। दुनू पक्षक समक्ष पंजीकार  वर-वधूक भाई के लोटा (सुवर्णा)  उठाबय के अधिकार हेबाक सहमति दैत छथि। वर-वधू पक्ष दीस सँ गुलाबपाश सौं इत्र छीटल जाय अछि, जलपान ,शरबत इत्यादि के व्यवहार होईत अछि।

घर घुरला पर लोटा उठैनिहार के पैर औंगारल जायत अछि, भगवती के मिनती होयत अछि। सिद्धांतक गीतक संग स्त्रीगण केँ तेल सिंदूर आ पान-मसाला देल जायत अछि। कन्या केँ पसाहिन होयत छैन्हि आ श्रृंगार कऽ  कऽ गीतनाद होयत अछि। लगन भेलाक  उपरांत कनिया विवाह धरि टिकुली नहि सटैत छथि।

ई तऽ  भेल ओ रीति जे अदौ सौं  चलि अबैत आयल। आब आधुनिकता केँ असर सँ सिद्धांतक दिन 'रिंग सेरेमनी'' क प्रचलन बड्ड देखबा  में अबैत अछि जे अन्य समाजक प्रथा अछि। एहि सौं विवाहमे खर्च मौजमजा में तऽ वृद्धि भेल मुदा अन्य विध जे महत्वपूर्ण छल कनिया क मुँहदिखाई वगैरहक औचित्य पर प्रश्नचिन्ह लगा रहल अछि। आ प्रदर्शनक लालसा में एकटा  महत्वपूर्ण आ सादगी पूर्ण विध आब बजारक हवाले अछि। जखन कि अखनो कर्णकायस्थक महत्वपूर्ण वर्ग में तऽ कैयक बेरि कथा ठीक भेला पर लड़कीवला के मदति के रूप  में दुनू दिसक खर्चा जोड़िकय विवाह करबाक अनेको उदाहरण भेटि जायत। 

लेखिका - कंचन कंठ
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com








3 comments:

  1. धन्यवाद संपादक महोदय।

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  2. बहुत नीक, सराहनीय परिपाटी

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  3. बहुत सुन्दर आ सम सामयिक वर्णन... ��������

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