हम सभ दिवंगत आत्माक शान्तिक लेल प्रार्थना करैत छी.
पटना, 2 दिसम्बर। मैथिली के आध्यात्मिक भाव के मनस्वी साहित्यकार गिरीश चन्द्र का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद सीडीए कॉलोनी स्थित आवास पर निधन हो गया। वे 68 वर्ष के थे तथा लंबे समय से कैंसर के रोगी थे। उनका इलाज मुम्बई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में चल रहा था। उनके परिवार में एक पुत्र, दो पुत्रियां तथा कई नाती पोते हैं। शनिवार को ही राजधानी के गुलाबी घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
मैथिली के पत्र पत्रिकाओं तथा संपादकों के प्रिय लेखक गिरीश चंद्र ने साहित्यिक समीक्षाएं और वैचारिक निबंध खूब लिखे, जिसे बहुत सराहना मिली। उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं- चलैत रहू हे मोन, शिवनगर ग्राम कथा, मधुर विद्यापति भान, पूर्व जनम हम देखल साधो, आदि।
मधुबनी जिला के शिवनगर गांव निवासी गिरीश चंद्र ने लगभग 35 वर्षों तक महालेखाकार कार्यालय में नौकरी की तथा मैथिली साहित्य की एकांत सेवा करते रहे। उनके निधन पर साहित्यकार संस्कृतिकर्मी छत्रानंद सिंह झा, प्रेमलता मिश्र प्रेम, गणपति नाथ झा, विभूति आनंद, अशोक, कुमार गगन, किशोर केशव, अजित आज़ाद आदि ने गहरा शोक प्रकट किया है।
*विशेष जानकारी के लिए संपर्क* *करें, विभूति आनंद* *79032 28695, 94722* *34496*
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(जानकारी का स्रोत - kishorejournalist-throuogh WhatsApp - 9431020170)
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