Sunday 7 October 2018

रौशन जनकपुरी रचित पुस्तक पर शैलेंद्र नारायण मल्लिकक विचार


शुभेच्छा


हमर लंगाेटिया राेशन जनकपुरी जे भातिजाे छैथ, हुनक नेपाली भाषामे लिखल एकटा बहुमूल्य कृति ( नेपालका प्रदर्शनकारी कला, प्रादेशिक अनुसन्धान, प्रदेश नं.२) टटकाटटकी प्रकाशित पुस्तक पढलहुँ । ३१० पृष्ठक एहि पाेथीमें सम्पूर्ण मिथिला-भाेजपुराक इतिहास, संस्कृति-कला परम्पराक कथा-व्यथाके चित्रणक संगहि सप्तरीसँ पर्सा जिल्लाधरिक समग्रक्षेत्रक अावश्यक विश्लेषण कयल गेल अछि । मित्र राेशन जनकपुरीके र्इ कृति हुनक विद्वताके अद्वितीय प्रस्तुति अछि अा र्इ हमरालेल गाैरवक विषय अछि ।

प्रस्तुत अनुसन्धानात्मक पुस्तकमे सप्तरीसँ पर्सामध्य हरेक जिल्लाक भाैगाेलिक परिवेश अा नदीसभक चर्चाके संगहिजिल्ला सभक सदरमुकामके एेतिहासिक पृष्ठभूमि अा अाेहि जिल्ला अन्तर्गत स्थित प्रसिद्ध स्थल, स्थानिय भाषा,विविध संस्कृति,धर्म अा जीवन शैलीक समन्वित समाजक यथार्थ चित्रण कयलगेल पक्ष एवं इतिहास अा एहिक्षेत्रक कला,साहित्य नाटक अा संगीतक लाेक अा अाधुनिक पक्षक अध्ययनक गहिरार्इके पुष्टि करैत अछि । सप्तरीसँ पर्सा जिल्लाधरिक समग्र इतिहास, संस्कृति अा कला-साहित्यक विविध विधाक जानकारीकलेल जिज्ञासु लाेकनिक हेतु र्इ पुस्तक यथाेचित सहयाेगी भ, सकैछ से हमर विश्वास अछि ।

अन्त्यमें, भविष्याेमें अहू सँ गहन अा परिष्कृत कृति प्रकाशित हेतैन्ह से अपेक्षा रखैत मित्र राेशन जनकपुरीके उत्तराेत्तर प्रगतिक कामनाक संग प्रकाशित एहि कृतिक लेल बहुतरास बधार्इ ।...
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आलेख- शैलेंद्र नारायण मल्लिक
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