Friday, 26 October 2018

मैथिली केँ प्राथमिक स्तरक भाषा बनाब' लेल माँग


मैथिली भाषा केँ प्रथमिक शिक्षाक माध्यम बनाब'  लेल जोर-शोर सँ प्रयास भ' रहल छै.



सामग्री सौजन्य- शिव कुमार मिश्रा

Tuesday, 16 October 2018

कनी बाजि दिऔ आ आन मैथिली कविता / अरुण कुमार लाल दास

कनी बाजि दिऔ!


हे  प्रिये  !
कनी  बाजि  दिऔ
कतेक  भाव  छी 
अहाँ  मन मे  छुपौने 

खंजन  नयन ,
गुलाबी  ई  चितवन 
ऊठय , लहर  मारय
हिलकोर  मन मे
बहल जा रहल जनु 
सरिता  शराबी

अधर क हँसी  मृदु
गुलाबक  कली  हो 
हमरा   मोताबिक  
कनी  साजि  लियौ,
हे  प्रिये ! 
कनी  बाजि  दिऔ.



बाढिक संत्रास 

प्रकृति केहन निष्ठुर भेल देखू
झमझम वर्षा बरिस रहल अछि 
भीजल वसन चिलकाक कोर मे
टुकड़ा चानक चमकि रहल अछि  

कोठा सोफा सजल बिछौना
थहा थही मे गृहणी कनियाँ
लह लह करैत धन खेती सब 
गदगद मालिक आ बनिहारक 
मुस्की आ मुस्कान लिखै छी
समय के हम सम्मान लिखै छी ।
बान्ह टुटल कोशी कछाड़ मे
मिनटहि मे सब भेल हतप्रभ
के भागत आ कोना क भागत
कथी समेटी की धय राखी,
चौकी पर चौकी गेटय मे 
लागल गृहपति आ नेना सब
की लय भागि जाइ जल्दी सँ
त्राहि करैत इन्सान लिखै छी
समय भेल बेइमान लिखै छी

गाय भैंस सब तोरलक खूंटा
मांउ मांउ करै पररू सब
बकड़ी छकड़ी सब भसियायल
बच्चा बुच्ची नेना भुटका
भूखे आकुल व्याकुल भ क
खोजि रहल छथि तीमन टटका
     
गृहपति लागल छथि जोगाड़ मे
ससरि जाइ सब क्यो मिलि झटका
क्यो ककरो घुरि नहि देखैत अछि 
सबहक सांस अटकि गेल छै
एहन पराभव  छल नहि देखल 
धैयॅक इम्तिहान लिखै छी 
समय बहुत बलवान लिखै छी ।

कहाँ नाह आ कहाँ पुछारी
सब किछु भासि गेल भंवर मे
बचल न चुटकी भरि दाना घर मे ,
पुल पुलिया मे फसल लहासक
गणना होइत अनुमान देखै छी
अपना के अपने स सानत्वना  दैत, 
कथा महान लिखै छी
समय बहुत बलवान लिखै छी
बाढिक ई संत्रास भयंकर 
दुदिॅनक हम निदान तकै छी
मिथिला बासी होउ अग्रसर
जन जन के आह्वान लिखै छी.
..............
कवि- अरुण कुमार लाल दास 
निवास -मधुबनी

कविक आत्मम-परिचय :

बचपन स साहित्यक प्रति लगाव रहल। सतत किछु किछु पढैत लिखैत रहलौं । कथाकार कें रूप मे मुन्सी प्रेमचंद हमर सबसॅ प्रिय कथाकार छथि ।ताहि दिन मिथिला मिहिर पत्रिका छपैत छल । मैथिली अपन मात्रृभाषा रहने बहुत पियरगर अछि । हरिमोहन झाक रंगशाला मे डूबि जाइत छलहुॅ । मिथिला मिहिर मे नेना भुटकाक चौपाड़ि मे वाल कथा सब लिखैत  रही। प्रकाशित सेहो होइत रहल । दस पनरह कथा सेहो प्रकाशित भेल छल हमर लिखल।बैंक मे अधिकारी रहैत  कहियो काल पढि लैत  छलहुॅ साहित्य के नाम पर किछु मुदा लिखब संभव नहि भ' सकल स्टेट बैंक स रिटायर भेला सन्ता किछु पहिलका रूचि फेर जागल अछि त ओकरे मुतॅरूप देबय मे लागल किछु किछु पढैत लिखैत कविता आ लघुकथा सेहो लिखने छी। लिखिए रहल छी । हिंदी मे सेहो  किछु कविता लिखलहुॅ अछि  ।आगां सेहो प्रयास जारी रहतै।अहाॅ सभक सहयोग अपेक्षित अछि ।


Sunday, 7 October 2018

रौशन जनकपुरी रचित पुस्तक पर शैलेंद्र नारायण मल्लिकक विचार


शुभेच्छा


हमर लंगाेटिया राेशन जनकपुरी जे भातिजाे छैथ, हुनक नेपाली भाषामे लिखल एकटा बहुमूल्य कृति ( नेपालका प्रदर्शनकारी कला, प्रादेशिक अनुसन्धान, प्रदेश नं.२) टटकाटटकी प्रकाशित पुस्तक पढलहुँ । ३१० पृष्ठक एहि पाेथीमें सम्पूर्ण मिथिला-भाेजपुराक इतिहास, संस्कृति-कला परम्पराक कथा-व्यथाके चित्रणक संगहि सप्तरीसँ पर्सा जिल्लाधरिक समग्रक्षेत्रक अावश्यक विश्लेषण कयल गेल अछि । मित्र राेशन जनकपुरीके र्इ कृति हुनक विद्वताके अद्वितीय प्रस्तुति अछि अा र्इ हमरालेल गाैरवक विषय अछि ।

प्रस्तुत अनुसन्धानात्मक पुस्तकमे सप्तरीसँ पर्सामध्य हरेक जिल्लाक भाैगाेलिक परिवेश अा नदीसभक चर्चाके संगहिजिल्ला सभक सदरमुकामके एेतिहासिक पृष्ठभूमि अा अाेहि जिल्ला अन्तर्गत स्थित प्रसिद्ध स्थल, स्थानिय भाषा,विविध संस्कृति,धर्म अा जीवन शैलीक समन्वित समाजक यथार्थ चित्रण कयलगेल पक्ष एवं इतिहास अा एहिक्षेत्रक कला,साहित्य नाटक अा संगीतक लाेक अा अाधुनिक पक्षक अध्ययनक गहिरार्इके पुष्टि करैत अछि । सप्तरीसँ पर्सा जिल्लाधरिक समग्र इतिहास, संस्कृति अा कला-साहित्यक विविध विधाक जानकारीकलेल जिज्ञासु लाेकनिक हेतु र्इ पुस्तक यथाेचित सहयाेगी भ, सकैछ से हमर विश्वास अछि ।

अन्त्यमें, भविष्याेमें अहू सँ गहन अा परिष्कृत कृति प्रकाशित हेतैन्ह से अपेक्षा रखैत मित्र राेशन जनकपुरीके उत्तराेत्तर प्रगतिक कामनाक संग प्रकाशित एहि कृतिक लेल बहुतरास बधार्इ ।...
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आलेख- शैलेंद्र नारायण मल्लिक
लेखकक लिंक- एत' क्लिक करू
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल- editorbiharidhamaka@yahoo.com