लालदास कृत रामायणमे सीता
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हमरा अँह कौ नहि किछु भेद
एके थिकहुँ कहै छथि वेद
लीला हेतु चयल दुई देह ।
ब्रह्म अंश दुहु निस्संदेह ।।
जनकधाम मिथिला केर वर्णन
भासमान मिथिलापुरी, रवि सन तेज प्रचण्ड ।
बूझ पड़ अनुपम देश जनि, महिगत स्वर्गक खण्ड ।।
शक्तिपीठ उत्तम स्थान, उग्रभूमि सब भाँति महान ।।
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मूलकवि - महाकवि पंडित लाल दास
मिथिलाक्षर मे लिपिकार - कंचन कंठ
लिखनिहारक ईमेल- kanchank1092@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
धन्यवाद, संपादक महोदय
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